हाई कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से पूछा, देश के अन्य राज्यों में कैसे सफलतापूर्वक चल रही है फ्री कैटल जोन योजना
बिलासपुर। सड़कों और प्रमुख जगहों को मवेशी मुक्त करने के लिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने छग शासन के चीफ सिकरेट्री से पूछा कि देश के दूसरे राज्यो में भी तो फ्री कैटल जोन बनाए गए हैं। सड़कों को मवेशी से मुक्त रखा गया है। वहां किस पालिसी पर काम कर रहे हैं, क्या कार्य योजना है।
इस संबंध में पूरी पालिसी मंगाई व रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में हुई। चीफ जस्टिस ने चीफ सिकरेट्री से पूछा कि देश के दूसरे राज्यों में फ्री कैटल जोन योजना सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। वहां किस तरह की कार्ययोजना बनाई गई है और उस पर कैसे अमल किया जा रहा है, इसे लेकर उन राज्यों के अफसरों से चर्चा करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब दूसरे राज्यों में योजना का संचालन ठीक ढंग से हो रहा है तो यहां क्यों नहीं।
इस बीच राज्य शासन की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसरों ने राज्य शासन की ओर से उठाए जा रहे कदमों की डिवीजन बेंच को जानकारी दी। चीफ जस्टिस से प्रदेश की सड़कों को मवेशी मुक्त करने की योजना को गंभीरता से संचालित करने और कड़ाई से पालन करने का निर्देश भी दिया। राज्य शासन ने एसओपी जारी करने हाई कोर्ट से मोहलत मांगी। इस पर कोर्ट ने शासन को माेहलत देते हुए पीआईएल की अगली सुनवाई के लिए16 दिसंबर 2024 को तय कर दी है।
दरअसल बिलासपुर सहित प्रदेश की सड़कों में मवेशियों का जमावड़ा रहता है, जिससे लगातार दुर्घटनाओं के मामले भी सामने आते हैं। इन सब मामलों को लेकर के छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। पिछली सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने संबंधित विभागों को सड़क पर बैठे मवेशियों को लेकर और दुर्घटना सहित सटीक रोड मैप नहीं बनाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। बैंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए शासन से कहा था आठ सप्ताह नहीं 8 साल ले लें लेकिन मवेशी सड़क पर दिखना नहीं चाहिए।