सियासी फेरबदल, बदले जाएंगे 10 जिलों के अध्यक्ष, तेज हुई राजनीतिक सरगर्म

 बिलासपुर। पहले राज्य की सत्ता से बेदखली और फिर लोकसभा चुनाव में मिली करार हार के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अब जाकर संगठन में सर्जरी करने का निर्णय लिया है। प्रदेश कांग्रेस में चल रही राजनीतिक हलचल के बीच यह खबर छनकर बाहर आ रही है कि पीसीसी प्रदेश के 10 जिलों के अपने क्षत्रपों को बदलने का मन बना लिया है। इस बीच यह भी विचार किया जा रहा है कि जिन जिलाध्यक्षों को पद से हटाया जाएगा उनको पीसीसी में किस जगह पर एडजस्ट किया जाए। कुछ एक जिलाध्यक्षों को पीसीसी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

पीसीसी में चल रहे मंथन और निकलकर बाहर आ रही चर्चा पर भरोसा करें तो राजधानी और न्यायधानी के साथ ही गरियाबंद, धमतरी,कवर्धा के अलावा बिलासपुर और सरगुजा संभाग के अंतर्गत आने वाले कुछ महत्वपूर्ण जिलों के क्षत्रपों को बदला जाएगा। चर्चा तो इस बात की भी हो रही है कि संगठनात्मक फेरबदल को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज का जल्द दिल्ली दौरा लग सकता है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव व प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट सहित एआईसीसी के तमाम बड़े पदाधिकारियों से इस संबंध में रायशुमारी और सहमति के बाद ही बदलाव प्रारंभ होगा।

वर्ष 2019 में हुए नगरीय निकाय चुनाव के दौरान प्रदेश के तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने महापौर चुनाव का पैटर्न बदल दिया था। डायरेक्ट के बजाय पार्षदों को महापौर चुनने का अधिकार दिया गया था। राज्य की सत्ता पर काबिज होने और मेयर के इनडायरेक्ट चुनाव का लाभ कांग्रेस को मिला। प्रदेश के सभी निकायों में कांग्रेस का कब्जा हो गया था। अब जबिक राज्य में भाजपा की सरकार है और महापौर के चुनाव को डायरेक्ट कर दिया है, पीसीसी के सामने निकायों में अपना कब्जा बरकरार रखने की बड़ी चुनौती रहेगी। प्रदेश के 10 प्रमुख जिलों के अध्यक्षों को बदलने के पीछे इसे भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।

राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोर पकड़ने लगी है कि पीसीसी चीफ बैज ने 10 नए जिलाध्यक्षों के नाम तय कर लिया है। प्रमुख पदाधिकारियों,विधायक व पूर्व विधायकों से रायशुमारी के बाद नाम को अंतिम रुप दिया गया है। प्रदेश प्रभारी पायल की सहमति मिलते ही नामों की घोषणा कर दी जाएगी। चर्चा है कि जल्द नए जिलाध्यक्षाें के नाम सामने आएंगे।

अधिकांश जिलाध्यक्षों ने संगठन के दिशा निर्देश और मापदंडों के अनुसार अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। पीसीसी से मिले एक्सटेंशन के भरोसे संगठन को चला रहे हैं। कार्यकाल विस्तार के बजाय पीसीसी ने नए चेहरे को आगे करने का मन बना लिया है।

प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उनका त्यागपत्र स्वीकार ना किए जाने और काम करते रहने के संदेश के चलते महिला कांग्रेस की बागडोर अब भी उनके ही हाथों में है। माना जा रहा है कि सांगठनिक विस्तार के इस दौर में प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी तेज तर्रार महिला नेत्री को देने की तैयारी चल रही है।

मंडल से लेकर जिलाध्यक्षों के लिए भाजपा ने उम्र की सीमा तय कर दी है। तय की गई उम्र सीमा के अनुसार मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति का दौर भी चल रहा है। प्रदेश के अमूमन सभी जिलों में हो रहे मंडल अध्यक्षों के चुनाव में आपसी सामंजस्य की राजनीति चल रही है। मंडल व जिलाध्यक्षों के लिए खींची गई उम्र की लक्ष्मणरेखा को लेकर वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और जमीनी स्तर के पदाधिकारियों में भीतर ही भीतर गुस्सा भी पनपने लगा है। हालांकि पार्टी अनुशासन के भय से खुलकर बोल नहीं पा रहे हैं। निकाय और पंचायत चुनाव के दौरान यह गुस्सा उभरकर सामने आ जाए तो अचरज की बात नहीं होनी चाहिए।