छत्तीसगढ़ में 31 दिसंबर को लागू हो सकती है आदर्श आचार संहिता! कांग्रेस ने किया विरोध, जानें सरकार का प्लान

रायपुर | छत्तीसगढ़ में इस बार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ होने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री से लेकर राज्य सरकार के अन्य मंत्रियों ने कई मंचों पर इस बात का संकेत दिया है। विधानसभा में इस संबंध में एक संशोधन विधेयक भी पारित किया जा चुका है। खबरों के अनुसार, 31 दिसंबर तक आचार संहिता लागू हो सकती है और राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है।

दरअसल, राज्य सरकार केंद्र सरकार की “वन नेशन, वन इलेक्शन” योजना को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा चुकी है। इसी कारण, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ कराने की योजना अंतिम चरण में है। विधानसभा में पारित नगरीय निकाय संशोधन विधेयक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। पहले यह माना जा रहा था कि पंचायत चुनाव के लिए आरक्षण की प्रक्रिया के कारण चुनाव अप्रैल के मध्य तक टल सकते हैं, लेकिन 30 दिसंबर को आरक्षण पूरा करने के आदेश ने इस संभावना को खत्म कर दिया।

राज्य निर्वाचन आयोग और प्रशासनिक सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार, आचार संहिता 31 दिसंबर तक लागू हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव लगभग डेढ़ महीने के अंदर संपन्न कराए जा सकते हैं। अनुमान है कि चुनाव 20 से 22 फरवरी 2025 तक संपन्न हो जाएंगे।

इसके पीछे प्रशासनिक तैयारियों के साथ-साथ राजनीतिक कारण भी बताए जा रहे हैं, जिनमें समय का सही प्रबंधन और चुनावी प्रक्रिया में कोई अड़चन नहीं आना प्रमुख है।

नगरीय निकाय संशोधन विधेयक के आधार पर इन दोनों चुनावों को एक साथ कराने का निर्णय लिया गया है, लेकिन कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। कांग्रेस का कहना है कि 74वें संविधान संशोधन के तहत यह व्यवस्था राज्य सरकार के दायरे में नहीं आती, और विधानसभा इसे बदल नहीं सकती। कांग्रेस ने सदन में इस विधेयक का विरोध किया था और कोर्ट जाने की धमकी दी थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि सरकार चुनाव में देरी करती है, तो कांग्रेस कोर्ट से स्टे प्राप्त कर सकती है, जिससे सरकार की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा। ऐसे में चुनाव जल्दी कराना सरकार के लिए जरूरी हो गया है।

इस प्रकार, सरकार की बयानबाजी और चुनाव संबंधी तैयारियों से यह साफ है कि छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव जल्द ही एक साथ कराए जाएंगे। सरकार कांग्रेस के विरोध और कानूनी चुनौती को गंभीरता से ले रही है, और चुनाव को जल्द संपन्न कराने की पूरी कोशिश कर रही है।