मुंगेली-रामबोड़ हादसा- मृतक मुकेश के परिजनों से शव लेने से किया इंकार, अफसरों में मचा हड़कंप

बिलासपुर। परिजनों का दोटूक कहना है कि पावर प्लांट का रेस्क्यू आपरेशन जब पूरा नहीं हो जाता और राखड़ में फंसे मजदूरों को बाहर नहीं निकाला जाता, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। रामबोड प्लांट हादसे में रेस्क्यू करने के लिए एसडीआरएफ के साथ ही एनडीआरएफ की टीम पहुंच गई है। एक तरफ रात भर रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा वहीं दूसरी तरफ अफसर अटेंडेंस रजिस्टर के हिसाब से उपस्थित कर्मचारियों को फोन लगवा उनके सकुशल होने की लगातार खोजबीन भी करते रहे।

बिलासपुर– रायपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में मुंगेली जिले के सरगांव थाना क्षेत्र में स्थित कुसुम स्टील प्लांट में हुए हादसे के बाद रात भर रेस्क्यू कार्य चलता रहा। हादसे में एक एक मजदूर की इलाज के दौरान मौत हो गई है। वहीं तीन अन्य मजदूर मलबे में लापता है। जिनकी तलाश के लिए रेस्क्यू कार्य रात भर चलता रहा। मुंगेली जिले के कलेक्टर राहुल देव और एसपी भोजराम पटेल रातभर रेस्क्यू स्थल पर डटे रहे। मौके पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ भी पहुंचकर रेस्क्यू अभियान में जुटी है। साथ ही हैवी क्रेन भी भिलाई स्टील प्लांट से मंगाया गया है। मौके पर तीन मजदूरों के दबे होने की आशंका है। जो कंटेनर गिरा उसमें गर्म राखड़ भरा हुआ था। राखड़ मजदूरों के ऊपर भराभर कर गिर गया। गर्म राखड़ के खड़ा एक मजदूर मनोज कुमार धृतलहरें गंभीर रूप से झुलस गया था। जिसे इलाज के लिए बिलासपुर के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वही तीन अन्य मजदूरों के राखड़ से भरे कंटेनर के नीचे दबे होने की आशंका है।

रेस्क्यू का जायजा लेने बिलासपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे और आईजी संजीव शुक्ला भी पहुंचे। मिली जानकारी के अनुसार प्लांट में रखे भारी साइलो ( सामान भंडारण कंटेनर) के गिर जाने से वहां काम कर रहे कर्मचारी इसकी चपेट में आ गए। कंटेनर का वजन तकरीबन 80 टन बताया जा रहा है। जाहिर है पूरी क्षमता के अनुसार कंटेनर में राखड़ भरा हुआ था। राखड़ भरा हुआ कंटेनर गिरने से यह हादसा हुआ। राखड़ भरे हुए कंटेनर का वजन लगभग डेढ़ सौ टन है। जिसे उठाने के लिए उतनी क्षमता का क्रेन मुंगेली में नहीं था। भिलाई से क्रेन मंगाया गया है। रेस्क्यू के लिए पहले एसडीआरएफ की टीम पहुंची फिर एनडीआरएफ की टीम भी पहुंच गई। रात भर रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा और आला अफसर भी रात भर जुटे रहे। इस दौरान रामबोड के अलावा आसपास के ग्रामीणों की भीड़ भी प्लांट के चारों तरफ लगी रही। रेस्क्यू कार्य सुचारू रूप से चलाए रखने के लिए भारी पुलिस बल भी मौजूद रही।

प्लांट में 400 कर्मचारी है कार्यरत

फैक्ट्री के मालिक आदित्य अग्रवाल के अनुसार प्लांट में करीब 400 मजदूर कार्यरत है। दो सौ मजदूर प्लांट के कर्मचारी हैं। जबकि बाकी तीन ठेका कंपनी के कर्मचारी है। जहां पर प्लांट का साइलो गिरा वहां पर ठेका कर्मी नहीं बल्कि प्लांट के ही चार कर्मी कार्यरत थे। जिस वक्त हादसा हुआ उस वक्त लंच टाइम हुआ था। जिसके चलते आसपास और मजदूर भी नहीं थे वरना जानमाल का और भारी नुकसान हो सकता था।

अटेंडेंस रजिस्टर से मिलान कर किया जा रहा फोन

जिला प्रशासन ने रेस्क्यू के दौरान उपस्थित कर्मचारियों का अटेंडेंस रजिस्टर मंगवाया। अटेंडेंस रजिस्टर के अनुसार उपस्थित मजदूरों का नंबर प्लांट प्रबंधन और ठेका कंपनी से लेकर जिला प्रशासन की टीम उन्हें फोन लगाकर उनके सुरक्षित बाहर होने की तस्दीक करती रही। अधिकतर लोग सकुशल मिले।