भारत चीन एलएसी तनाव: पैंगोंग झील के फिंगर 4 और रिज लाइन से भी सैनिक घटाने पर मजबूर हुआ चीन
नई दिल्ली | लद्दाख में भारत-चीन सैनिकों के बीच तनातनी में कमी के बीच चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो के फिंगर 4 इलाके में भी मौजूदगी में कमी की है। पीपल्स लिब्रेशन आर्मी सैनिकों ने रिज लाइन पर भी सैनिकों की संख्या घटाई है। पैंगोंग झील से कुछ नावों को हटाए जाने की भी खबर है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
रिज लाइन पर सैनिकों की संख्या में कटौती दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स में अगले दौर की बैठक से पहले हुई है, जिसमें एलएसी पर तनातनी कम करने के लिए दूसरे फेज की रूपरेखा तैयार होनी है। इस बार जिन इलाकों पर चर्चा होगी उनमें पैंगोंग झील और डेपसांग भी शामिल है। चीनी सैनिकों ने फिंगर4-8 के बीच डेरा जमाया है, जहां भारतीय सेना की मौजूदगी होती है। इस घुसपैठ से पहले चीनी कभी-कभी यहां आते रहे हैं।
चीन का दावा है कि डेपसांग में रोड उसके नियंत्रण वाले इलाके में बनाया जा रहा है। भारत और चीनी सैनिकों के बीच 5 से तनाव है। 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें दोनों ओर के सैनिक हताहत हुए।
भारत की ओर से सैन्य और कूटनीतिक दबाव बढ़ाए जाने के बाद चीन पीछे हटने को मजबूर हुआ है। इससे पहले गलवान घाटी सहित तनाव वाले कई क्षेत्रों से चीनी सैनिक पीछे हटे हैं। दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर की बातचीत चल रही है। इस बीच भारत ने साफ कर दिया है कि सीमा पर शांति के लिए एलएसी का कड़ाई से पालन किया जाना आवश्यक है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा पर पिछले कुछ सप्ताह से जारी तनाव को कम करने के प्रयासों के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि दोनों देशों के बीच सैनिकों के पीछे हटने और तनाव कम करने की प्रक्रिया को लेकर सहमति बनी है और काम काफी हद तक प्रगति पर है।
जयशंकर ने इंडिया ग्लोबल वीक में एक वीडियो संवाद सत्र में कहा, ”हमने सैनिकों के पीछे हटने की जरूरत पर सहमति जताई है क्योंकि दोनों पक्षों के सैनिक एक दूसरे के बहुत करीब तैनात हैं। इसलिए पीछे हटने और तनाव कम करने की प्रक्रिया पर सहमति बनी है।”
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की रविवार को फोन पर करीब दो घंटे की बातचीत के बाद सोमवार सुबह से सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हुई। जयशंकर ने गत 17 जून को चीन के विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बात की थी जिसमें दोनों पक्षों ने पूरे हालात को जिम्मेदारी के साथ संभालने के लिए सहमति जताई थी।