आरआई चयन परीक्षा में बड़ा गोलमाल, जांच कमेटी बोली…रिएग्जाम हो, मगर अफसरों द्वारा की जा रही लीपापोती…

रायपुर। पीएससी के बाद पटवारी से आरआई सलेक्शन परीक्षा भी गोलमाल से बच नहीं सका। राजस्व विभाग ने परीक्षा से पहले पटवारियों को एक जगह बिठाकर उनसे प्रश्नपत्र साल्व कराया गया। आरोप है कि राजस्व विभाग के अफसरों ने 10-10 लाख लेकर पटवारियों को रेवेन्यू इंस्पेक्टर बना दिया।

ज्ञातव्य है, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस शासन काल में 2023 में पटवारी कोटे से आरआई सलेक्शन परीक्षा करने के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ था। करीब पौने दो सौ पदों के लिए पांच हजार से अधिक पटवारियों ने परीक्षा में हिस्सा लिया।

राजस्व विभाग के अधिकारियों ने चतुराई करते हुए आचार संहिता के दौरान परीक्षा आयोजित कर ली और दिसंबर 2024 में नई सरकार के गठन के समय रिजल्ट घोषित कर दिया। यह सब तब हुआ, जब पूरा सिस्टम चुनाव और नई सरकार बनाने में व्यस्त था।

परीक्षा में अपने लोगों को उपकृत करने के लिए राजस्व अधिकारियों ने नियम-कायदों को ताक में रखते हुए बड़े स्तर पर खेला किया। सबसे गंभीर अरोप यह है कि परीक्षा से पहले पेपर लीक किया गया और जिन लोगों से पैसा लिया गया था, उन्हें एक जगह बिठाकर पेपर हल कराया गया।

दूसरा, पेपर जानबूझकर आउट ऑफ कोर्स पूछा गया ताकि बाकी पटवारी उसे हल नहीं कर सकें। यही नहीं एक ही रौल नंबर दो-दो, तीन-तीन पटवारियों को आबंटित कर दिया गया।

कमिश्नर लैंड रिकार्ड आफिस ने इस परीक्षा को आरगेनाइज किया था। अफसरों ने परीक्षार्थियों से उत्तरपुस्तिका में मोबाइल नंबर लिखवा लिया। मोबाइल नंबर लिखवाने का उद्देश्य यह था कि परीक्षा बाद पटवारियों से संपर्क कर पास करने के लिए डील की जा सके।

देश में ऐसा कोई भी परीक्षा नहीं होती, जिसमें आंसर शीट पर मोबाइल नंबर लिखा जाता हो। अगर परीक्षार्थी की पहचान उजागर हो गई तो फिर परीक्षा की गोपनीयता का मतलब क्या रहा।

आरआई चयन परीक्षा में पटवारियों से पैसे लेकर पास करके रेवेन्यू इंस्पेक्टर बनाने की उच्च स्तर तक शिकायतें हुई। विष्णुदेव सरकार ने इस घोटाले की जांच का आदेश दिया। सचिव स्तर के आईएएस केडी कुंजाम की अध्यक्षता में सरकार ने जांच कमिटी बनाई।

जांच कमेटी ने आरआई चयन परीक्षा में कई सारी खामियों की तरफ इशारा करते हुए फिर से परीक्षा आयोजित करने का सुझाव दिया था। कमेटी ने परीक्षा पूर्व एक ही जगह पर सभी उतीर्ण पटवारियों को एक जगह इकठ्ठा कर पेपर साल्व कराने के आरोप को गंभीर माना था। तथा इसकी साइबर सेल से जांच कराने की अनुशंसा की थी।

जांच कमेटी के चेयरमैन केडी कुंजाम ने कहा कि मैं चुनाव पर्यवेक्षक बनकर रायगढ़ आया हूं। दोबारा परीक्षा कराने की सिफारिश के सवाल पर कुंजाम ने कहा कि दो महीने पहले हमने रिपोर्ट सौंप दी है, इसलिए मुझे उतना याद नहीं। हां, ये अवश्य कहा गया था कि कुछ कमियां हैं, उन्हें दूर करनी चाहिए।

आरआई सलेक्शन परीक्षा घोटाले की जांच को राजस्व विभाग के अधिकारियों ने दबा दिया है। जांच कमेटी ने दिसंबर में रिपोर्ट सौंपी और अब फरवरी आ गया, दो महीने से जांच रिपोर्ट राजस्व विभाग की अलमारियों में दबी हुई है। बताते हैं, प्रमोशन परीक्षा घोटाले में कुछ आईएएस अधिकारियों के नाम आ रहे हैं, इसलिए उन्हें बचाने के लिए सिस्टम जांच रिपोर्ट पर पर्दा डालने में जुट गया है।

पता चला है, आरआई चयन परीक्षा की जांच जैसे शुरू हुई, हाई कोर्ट में कुछ पटवारियों ने याचिका दायर की। मगर रेवेन्यू इंस्पेक्टर बने पटवारियों ने इस हाई स्तर पर प्रयास किया कि कोर्ट में सरकार ने ढंग से जवाब पेश नहीं किया।

इस चक्कर में सिंगल बेंच से प्रक्रिया के पक्ष में फैसला हो गया। हालांकि, ये सही है कि परीक्षा की प्रक्रिया में कोई गलत नहीं हुआ। परीक्षा प्रक्रिया के अनुसार हुई। और हाई कोर्ट ने इस पर मुहर लगाया है। मगर परीक्षा साफ-सुथरी ढंग से हुई, इस पर हाई कोर्ट ने कुछ नहीं कहा।

अलबत्ता, राजस्व विभाग ने डबल बेंच में इसकी अपील भी नहीं की। जबकि, जांच कमेटी रिएग्जाम कराने की सिफारिश की है, राजस्व विभाग ने इस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया।