फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती: स्‍टोरकीपर को रजिस्‍ट्रार बनाने का आरोप

बिलासपुर। डॉ. राकेश गुप्ता ने फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर राज्य शासन द्वारा की गई नियुक्ति को रिट आफ क्वारंटो याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने दायर याचिका में कौंसिल एक्ट के साथ ही रजिस्ट्रार की नियुक्ति के लिए राज्य शासन द्वारा जारी मापदंड व नियमों का हवाला दिया है। याचिका में कहा है कि रजिस्ट्रार की नियुक्ति में राज्य शासन ने कौंसिल एक्ट के अलावा अपने बनाए नियमों का खुलकर उल्लंघन कर दिया है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि फार्मेसी कौंसिल नियमों के तहत रजिस्ट्रार के पद पर एमबीबीएस डाक्टर को नियमित नियुक्त देने का प्रावधान है। फार्मेसी काैंसिल एक्ट मेडिकल साइंस का महत्वपूर्ण अंग है। राज्यों में इसका संचालन व क्रियान्वयन की जिम्मेदारी स्टेट फार्मेसी कौंसिल को है। इसमें फार्मासिस्ट को लाइसेंस जारी करना,उनका नाम रजिस्टर करना,फार्मेसी के क्षेत्र में कार्य करने की शिक्षा देने जैसे महत्वपूर्ण कार्य का संचालन व देखरेख करना होता है। राज्य शासन ने फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर जिस व्यक्ति की नियुक्ति की है वह योग्य ही नहीं है और ना ही उसके पास रजिस्ट्रार के पद पर कार्य करने की योग्यता है। अस्पताल के एक स्टोर कीपर को रजिस्ट्रार जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त कौंसिल एक्ट व तय प्रावधान का सीधेतौर पर उल्लंघन किया गया है।

फार्मेसी कौंसिल एक्ट में दिए गए प्रावधान के अनुसार कौंसिल में कुल 15 मेंबर्स होते हैं। इसमें छह इलेक्टेड व छह नामिनेटेड मेंबर्स का चयन किया जाता है। कोई भी निर्णय सामान्य सभा की बैठक में बहुमत के आधार पर लिया जाता है।

फार्मेसी कौंसिल एक्ट व प्रावधान के अनुसार कौंसिल के रजिस्ट्रार के पद पर सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी को बैठाया जाता है। एक्ट में यह साफ लिखा हुआ है कि सीनियर रिटायर्ड चिकित्सा अधिकारी फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार होंगे। राज्य शासन ने नियमों विपरीत जाते हुए यह नियुक्ति कर दी है।

डा गुप्ता ने बताया है कि वह मेडिकल कौंसिल आफ छत्तीसगढ़ के निर्वाचित सदस्य हैं। छत्तीसगढ़ फार्मेसी कौंसिल एक्ट में दिए गए प्रावधान और व्यवस्था के तहत वह फार्मेसी कौंसिल आफ छततीसगढ़ के नामिनेटेड मेंबर हैं। वर्ष 2020 से वह फार्मेसी कौंसिल के नामित सदस्य हैं और अपना काम करते रहे हैं।

रिट आफ क्वारंटो याचिका के जरिए उन बातों व तथ्यों को सामने लाया जाता है जिसमें योग्यता ना होने के बाद भी नियम कानून व प्रावधानों को ताक पर नियुक्ति कर दी जाती है। वर्तमान याचिका में भी इसी तरह का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। राज्य शासन ने फार्मेसी कौंसिल एक्ट व प्रावधान का उल्लंघन करते हुए सीनियर एमबीबीएस डाक्टर के बजाय अस्पताल के एक स्टोरकीपर व तृतीय वर्ग कर्मचारी को फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रार के महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त कर दिया है। रिट आफ क्वारंटो याचिका में हाई कोर्ट का फैसला पब्लिक ला डिक्लेरेशन होगा। इस फैसले की बाध्यता रहेगी। हाई कोर्ट का फैसला कानून बन जाएगा।

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