रतनपुर महामाया मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष को मिली अग्रिम जमानत: DFO को लगाई फटकार


बिलासपुर। महामाया मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा को कछुए से शिकार के मामले में अग्रिम जमानत मिल गई है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के सिंगल बेंच ने सतीश शर्मा को अग्रिम जमानत देते हुए वन विभाग के डीएफओ को वन्य जीव अधिनियम के सही जानकारी नहीं होने पर फटकार लगाई है।
महामाया मंदिर ट्रस्ट परिसर की तालाब में से मृत कछुए मिले थे। इसमें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत वन विभाग ने मंदिर के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा को आरोपी बनाया था। मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी वन विभाग के द्वारा पूर्व में की गई थी और सतीश शर्मा की तलाश वन विभाग की टीम को थी। सतीश शर्मा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। पिछले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वन विभाग से डायरी तलब किया था.
सतीश शर्मा के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 9 के तहत सतीश शर्मा पर अपराध दर्ज किया गया है। यह एक्ट शिकार के लिए होता है,पर सतीश शर्मा पर शिकार का आरोप ही नहीं है। उन पर आरोप है कि उन्होंने सफाई के लिए ताला खुलवाने हेतु परमिशन दी,जिसके बाद सफाई के दौरान कछुए मृत पाए गए। चीफ जस्टिस ने पूछा कि कितने बजे सफाई के लिए अनुमति दी गई। चीफ जस्टिस ने पूछा कि रात को कौन सी सफाई होती है,जो इतनी रात को ताला खोला गया। इस तरह से तो आप मंदिर की तिजोरी लुटवा देंगे। जिस पर सतीश शर्मा के अधिवक्ता ने बताया कि दिन में नवरात्रि के चलते भक्तों की भीड़ रहती है इसलिए रात को ही सफाई करवाई जाती है।
सतीश शर्मा ने अधिवक्ता ने बताया कि वन विभाग ने भले ही शिकार का मामला दर्ज कर दिया है पर यह शिकार का मामला है ही नहीं। इस मामले में ना तो शिकार की बात सामने आई है ना ही ट्रैफिकिंग की बात सामने आई है।
याचिकाकर्ता मंदिर के उपाध्यक्ष सतीश शर्मा के अधिवक्ता ने कहा कि मंदिर की सफाई एक अकेले उपाध्यक्ष का निर्णय नहीं था बल्कि ट्रस्ट की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया था। ट्रस्ट के बैठक के निर्णय की प्रति भी अदालत को अधिवक्ता ने दिखाई।
अदालत द्वारा पूछने पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 51 में क्या है तो अधिवक्ता ने बताया कि वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 जहां शिकार को प्रतिबंधित करती हैं,वही वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 51 सजा का प्रावधान करती हैं।
चीफ जस्टिस ने वन विभाग के अधिवक्ता से पूछा कि डीएफओ कहां तक पढ़ा लिखा है,क्या डिग्री है उसके पास किस तरह एफआईआर करवानी है यह भी उसको नहीं पता,जिसे वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत आरोपी बनाया गया है उस पर यह एक्ट ( अपीलार्थी सतीश शर्मा) पर लागू ही नहीं होती। डीएफओ को न तो वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 39 पता है और न 49। किसके ऊपर एफआईआर और क्यों करवाई हैं यह भी उसको नहीं पता। एफआईआर भी उसने अज्ञात के नाम से करवा रखी है।