सीजीएमएससी घोटाले में अब ED की एंट्री…6 आरोपियों के खिलाफ ईओडब्लू ने पेश किया चालान

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रायपुर। सीजीएमएससी के रिएजेंट सप्लाई घोटाले में 6 आरोपियों के खिलाफ ईओडब्लू के द्वारा चालान पेश किया गया है। आरोपियों के खिलाफ बिना आवश्यकता के अधिक कीमतों में रिएजेंट खरीदने के मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर कर जांच की थी।

जांच में दोषी पाए जाने पर मोक्षित कॉरपोरेशन के मालिक समेत सीजीएमएससी के अधिकारियों को गिरफ्तार कर रिमांड में ले पूछताछ की थी। जिसके बाद न्यायिक रिमांड पर जेल दाखिल करवाया था। अब ईडी के द्वारा भी इसी मामले में ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के भी सबूत मिले है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में आईएएस अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जल्द ही इस मामले में ईडी के द्वारा छापा मार सकती है।

छत्तीसगढ़ राज्य के आम जनता तक निशुल्क स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से शासन द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं तथा छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड अभिन्न अंग की तरह कार्य करते हैं। जो स्वास्थ्य विभाग छत्तीसगढ़ शासन के अधीन कार्य करते हैं। राज्य के आम जनता को निशुल्क डायग्नोस्टिक जांच उपलब्ध करवाने के लिए सभी जिला अस्पतालों एवं एफआरयू सीएचसी हमर लैब की स्थापना की गई है। इसी प्रकार ग्रामीण अंचल तक स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए 15 वें वित्त आयोग के तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उप स्वास्थ्य केंद्रों को शामिल किया गया है। इन योजनाओं में क्रय किए जाने वाले मेडिकल उपकरणों एवं रिएजेंट्स की निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितता किया जाकर शासन को करोड़ो रुपए की आर्थिक क्षति की सूचना पर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने विवेचना की।

विवेचना में मिले तथ्य

संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा उपकरण एवं रीएजेंट के आवश्यकता के संबंध में समुचित आकलन किए बिना मांग पत्र सीजीएमएससी को प्रेषित की। इनके द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों में मूलभूत सुविधाओं मानव संसाधन रेफ्रिजरेटर एवं अन्य का आकलन किए बिना मांग पत्र जारी किया जिससे सीजीएमएससीएल द्वारा क्रय प्रक्रियाओं का पालन न करते हुए मेडिकल उपकरण एवं रिएजेंट् की आपूर्ति कर दी गई। विवेचना में पाया गया कि रिएजेंट् की खरीदी स्वास्थ्य संस्थानों की वास्तविक आवश्यकता का मूल्यांकन किए बिना की गई जो की सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है।

संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं द्वारा मेडिकल एवं रिएजेंट की आपूर्ति हेतु मांग पत्र भेजे जाने के पूर्व बजट की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई। सीजीएमएससीएल द्वारा भी पूरे मांग पत्र का क्रय आदेश केवल 26–27 दिनों में कर दिया गया। रिएजेंट के रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं होने के बावजूद रिएजेंट के क्रय आदेश जारी कर आपूर्तिकर्ता को लाभ पहुंचाया गया।

रिएजेंट्स की खरीदी हेतु 2 जून 2023 के मांग पत्र पर ही 314.81 करोड़ रुपए के पर्चेस ऑर्डर सीजीएमएससी द्वारा जारी किए गए जबकि इस हेतु कोई स्वीकृत बजट या शासन से या प्रशासनिक अनुमति उपलब्ध नहीं थी। डीएचएस के द्वारा भी न तो खरीदी के लिए कोई बजट सुनिश्चित किया गया न ही, न ही शासन से वित्तीय अनुमति प्राप्त की गई। 300 करोड़ रुपए से अधिक के रिएजेंट के मांग भेजे जाने के पूर्व आंतरिक वित्तीय अधिकारी से भी राय नहीं लिया गया। डीपीडीएमआईएस सॉफ्टवेयर में क्रय आदेश जारी तभी दर्ज हो सकते हैं जब पर्याप्त बजट हो इस बाध्यता से बचने के लिए सीजीएमएससी के प्रबंध संचालक द्वारा एंटीसीपेटरी फंड की प्रविष्टि करवाई गई और लगभग 314 करोड़ रुपए की एंट्री सॉफ्टवेयर में कर दी गई। इसके लिए न तो वित्त नियंत्रक से अनुमति ली गई और न ही वित्त विभाग से परामर्श किया गया। पूरे मांग पत्र के क्रय आदेश सिर्फ 26–27 दिनों के भीतर मोक्षित कॉरपोरेशन को जारी कर दिया गया। यह क्रियाविधि न केवल असामान्य रूप से शीघ्र थी,बल्कि प्रक्रिया के साथ मजाक करने जैसा था।

ईसीआईआर दर्ज (2/25) किए गए आरोपी का नाम

(1) मोक्षित कॉरपोरेशन के मालिक शशांक चोपड़ा

(2) बसंत कुमार कौशिक

(3) क्षिरोद्र रौतिया

(4) डॉ० अनिल परसाई

(5) कमलकांत पाटनवार

(6) दीपक कुमार बंधे

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