टीआई-हेड कांस्टेबल सस्पेंड, रिटायर्ड फौजी के भाई को तस्करी में फंसाने की धमकी देकर की वसूली…


मोहला– मानपुर। मोहला–मानपुर– अंबागढ़ चौकी जिले के चिल्हाटी थाना प्रभारी के द्वारा कारगिल युद्ध लड़े और पाकिस्तान से लोहा लिए फौजी के भाई समेत अन्य को पशु तस्करी के झूठे मामले में रात भर थाने में बिठा प्रताड़ित करने और एक लाख रुपए रिश्वत लेकर छोड़ने के मामले में थाना प्रभारी रवि शंकर डहरिया को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही मामला दबाने के लिए पीड़ितों पर दबाव बनाने वाले प्रधान आरक्षक राजेश्वर बोगा को भी निलंबित किया गया है। राजनांदगांव रेंज आईजी अभिषेक शांडिल्य के निर्देश पर यह कार्यवाही मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी के एसपी वायपी सिंह ने की है।
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के कोरची तहसील अंतर्गत ग्राम खुनारा निवासी चतुर सिंदराम भारतीय सेना के सेवानिवृत्ति जवान है। सेना में रहते हुए उन्होंने भारत–पाक के बीच होने वाले कारगिल युद्ध में भारत की तरफ से हिस्सा ले बहादुरी का परिचय दिया था। सेवानिवृत होने के बाद वे गांव में रहते हैं और खेती–किसानी करते हैं। उनके बड़े भाई मथुर सिंदराम ने अंबागढ़ चौकी के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत भड़सेना के आश्रित ग्राम कोलियाटोला निवासी किसान रामकुमार (56) सलामे पिता सुकुल सिंह सलामे से खेती– किसानी के लिए दो बैल खरीदे थे।
पीड़ितों की शिकायत के अनुसार बैल खरीदने के बाद 20 अप्रैल को वे लोग चिल्हाटी थाना क्षेत्र के निवासी देवदास साहू (21) पिता गेंदलाल साहू के पिकअप में बैल डालकर महाराष्ट्र अपने गांव ले जा रहे थे। इसी बीच चिल्हाटी थाना पुलिस ने उन्हें पशु तस्करी के संदेह में पकड़ लिया और थाने लेकर गई। फौजी के बड़े भाई के अलावा पिकअप वाहन मालिक को भी पकड़ा गया। साथ ही उनसे पूछताछ कर बैल बेचने वाले गरीब किसान को भी पकड़ कर ले आया गया। कुल पांच लोगों को पुलिस ने थाने में बैठा लिया।
हिरासत में दिए गए सभी पांचो को रात भर थाने में बिठाकर रखा गया और बैल,पिकअप वाहन और फौजी के भाई,पिकअप मालिक,बेचने वाले किसान समेत पांचों को छोड़ने के एवज में एक लाख रुपए की मांग थाना प्रभारी रविशंकर डहरिया द्वारा की गई। खेती किसानी के नाम से बैल खरीद कर ले जाने की बात बताने पर भी टीआई नहीं माने। रात भर थाने में रखने के बाद दूसरे दिन एक लाख रुपए रिश्वत लेकर सभी को छोड़ दिया गया।
महाराष्ट्र के खुनारा निवासी रिटायर्ड फौजी का परिवार रिटायरमेंट के बाद गांव में खेती किसानी का काम करता है। फौजी चतुर सिंदराम का बड़ा भाई मथुर सिदराम बैल खरीदने महाराष्ट्र से अंबागढ़ चौकी पहुंचा था। वापसी बैल ले जाने के दौरान चिल्हाटी थाने के चंगुल में फंस गया। पूरी रात थाने में पुलिस कैद में रहने के दौरान 21 अप्रैल दोपहर को मां की मौत हो गई। वही 21 अप्रैल की सुबह थानेदार ने इस शर्त पर फौजी के भाई को छोड़ा था कि वह अपने गांव जाकर रुपयों का इंतजाम कर लाए। मां की अर्थी उठने से पहले फौजी का भाई अपने गांव महाराष्ट्र पहुंचा। गांव में लोगों से पैसा जुटाकर फिर थाने पहुंचा और थाना प्रभारी को रकम दी। फिर वापस अपने गृहग्राम जाकर मां की चिता को मुखाग्नि दी।
विवादित रहा है थानेदार का कार्यकाल
थानेदार रविशंकर डहरिया का कार्यकाल विवादित रहा है। रिश्वतकांड की उजागर होने से एक सप्ताह पहले महिला– पुरुषों, युवाओं और ग्रामीणों ने क्षेत्र में बिक रहे अवैध शराब और उससे होने वाले दुष्परिणामों से तंग आकर चिल्हाटी थाने का घेराव किया था। घेराव के दौरान ग्रामीणों का आरोप था कि थाना प्रभारी रविशंकर डहरिया के संरक्षण में क्षेत्र में अवैधानिक गतिविधियां फल– फूल रही हैं।