जनजातियों की भाषा जैसे गोंडी तथा अन्य को प्राथमिक स्तर की शिक्षा में शामिल किया जाए : सुश्री उइके

नई शिक्षा नीति 2020 पर आधारित राज्यपालों के सम्मेलन में राज्यपाल ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए
नई शिक्षा नीति को मील का पत्थर साबित होने पर विश्वास जताया
रायपुर. राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर आधारित राज्यपालों के सम्मेलन में सभी राज्यपालों, उपराज्यपालों को वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी अपना संबोधन दिया। राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति कई मामलों में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के-2020 के संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। राज्यपाल ने कहा-जनजातियों की भाषा जिसमें गोंडी भी शामिल है उन्हें प्राथमिक स्तर की शिक्षा में शामिल किया जाना चाहिए, इससे जनजाति समाज और उनकी नई पीढ़ी अपनी भाषा-संस्कृति को समझ सकेंगे और उससे उपलब्ध ज्ञान को संरक्षित रख पाएंगे। उन्होंने कुछ राज्यों में जहां पर जनजातियों की संख्या अधिक है वहां पर संबंधित क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर जनजाति-भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति करने और नियुक्ति में क्षेत्रीय, जनजाति-गोंडी भाषा के शिक्षकों के लिए पद आरक्षित करने पर आवश्यकता व्यक्त की। राज्यपाल ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री सहित विशेषज्ञों को नई शिक्षा नीति 2020 के लिए धन्यवाद भी दिया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में सुझाव देते हुए कहा कि बस्तर एवं सरगुजा जैसे आदिवासी अंचलों में मल्टीडिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिर्वसिटी प्राथमिकता के आधार पर प्रारंभ किए जाएं, जिससे इन क्षेत्रों में शिक्षा का प्रचार-प्रसार हो सकेगा और आदिवासी युवाओं को बेहतर शिक्षण संस्थानों मेें अध्ययन करने का मौका मिल सकेगा। राज्यपाल ने कहा कि कृषि की उच्च शिक्षा में ऐसे अध्ययन एवं अनुंसधान की आवश्यकता है, जिसके द्वारा कृषि की शिक्षा में गुणवत्तापूर्वक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान कार्य हो सके, एवं छत्तीसगढ़ के युवा वर्ग कृषि शिक्षा को एक कैरियर के रूप में चुन सके। जिससे छत्तीसगढ़ राज्य के युवा रोजगारोन्मुख एवं व्यवसाय की ओर अग्रसर हो सके। उन्होंने कहा शिक्षकों को तकनीक आधारित शिक्षण पद्धति से परिचित कराने के लिए विश्वविद्यालय को नोडल सेंटर बनाकर क्रमबद्ध शिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया जाना चाहिए। शासकीय महाविद्यालयों में छात्रों के शुल्क एवं प्रशासन नियामक आयोग का भी गठन किया जाए, जिससे छात्र, शिक्षक एवं अभिभावकों सहित अन्य संबंधितों के हितों की सुरक्षा का निर्धारण हो सके।
राज्यपाल ने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये अनाधिकृत पाठ्य सामग्री के प्रकाशन को प्रतिबंधित किया जाये जिससे विद्यार्थी अच्छी पाठ्य सामग्री को पढ़ने के लिए बाध्य हो। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में स्थानीय साहित्य पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं है अतः महाविद्यालय स्तर पर छत्तीसगढ़ी भाषा के अध्ययन के लिए छत्तीसगढ़ी भाषा के लेखकों, साहित्यकारों को साहित्य उपलब्ध कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सुश्री उइके ने ई-पाठ्यक्रम का लाभ दूरस्थ ग्रामीण अंचल तथा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में निवासरत विद्यार्थियों को मिलना सुनिश्चित किए जाने पर जोर दिया। साथ ही छत्तीसगढ़ में विद्यार्थियों को प्रारंभिक शिक्षा का अध्यापन छत्तीसगढ़ी भाषा में कराया जाना अत्यंत ही हितकारी बताया।
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 संपूर्ण रूप से शिक्षा के मानकों को स्थापित करने वाली है। इसके सभी प्रावधान शिक्षा की गुणवत्ता, स्वायतत्ता एवं छात्रों को बेहतर विकल्प प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से बौद्धिक स्तर एवं व्यवहार मेें भारतीय संस्कृति का समावेश होगा, जिससे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प पूरा होने का मार्ग प्रशस्त होगा। राज्यपाल ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री और विशेषज्ञों को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस शिक्षा नीति में स्कूली बच्चों को बोर्ड परीक्षा के तनाव को कम करने का उपाय किया गया है। कक्षा 6वीं से ही विद्यार्थियों को व्यवसायिक एवं कौशल की शिक्षा प्रदान कर इंटर्नशिप कराने से, बच्चे शिक्षा के प्रति प्रेरित एवं जागरूक होंगे। राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 छात्र केंद्रित शिक्षानीति है। गुरूकुल पद्धति का समावेश इस शिक्षानीति में किया गया है एवं छात्रों को अपनी इच्छा के अनुरूप विषयों का अध्ययन करनें में प्राथमिकता मिलेगी। सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री श्री संजय धोतरे, सभी राज्य के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति समिति के अध्यक्ष एवं इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. कस्तूरीरंगन सहित विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण उपस्थित थे।