उल्टा पड़ा निर्णय, बिना योजना राज्यों ने लगाया लॉकडाउन, अर्थव्यवस्था पर लगा ग्रहण

नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने जब राज्य सरकारों को लॉकडाउन को लेकर निर्णय की छूट दी है तो जुलाई महीने से कई राज्य सरकारों ने कुछ-कुछ इलाकों में कड़ी पाबंदियां लागू करने का निर्णय लिया। राज्यों ने लाकडाउन तो लागू कर दिया, लेकिन इसके पीछे कोई गंभीर योजना नहीं थी। इसका नतीजा यह निकला कि राज्य की आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुईं, लेकिन कोरोना संक्रमण पर कुछ खास असर नहीं पड़ा।
10 जुलाई से 3 अगस्त तक के आंकड़े बताते हैं कि जिन सात इलाकों में लॉकडाउन लागू किया गया, वहां हर सप्ताह औसतन 37 से 578 प्रतिशत की दर से कोरोना केसों में बढोतरी दर्ज की गई। इस दौरान सप्लाई चेन बाधित हो गई और सिस्टम में अनिश्चितिता का माहौल होने के कारण यह तय नहीं हो पाया कि लोगों को काम पर दोबारा कब बुलाया जाए और अपना कारोबार फिर से कब शुरू किया जाए। बहरहाल, इस दौरान नए केसों की राष्ट्रीय साप्ताहिक औसत वृद्धि दर 190 प्रतिशत रही। इस दर से 23,236 केस में 44,379 केस की वृद्धि हुई और कुल 67,615 केस हो गए थे।
राज्यवार सूची पर नजर डालें तो महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों में तो मृत्यु दर रिकवरी रेट से भी ज्यादा है। कई राज्यों ने जुलाई और अगस्त महीनों में पूर्ण या आंशिक लॉकडाउन लगाया था। प. बंगाल ने 23, 25 और 29 जुलाई को पूर्ण लॉकडाउन लगाया। वहीं, उत्तर प्रदेश ने 10 से 13 जुलाई के बीच ऐसा ही किया। बिहार ने भी 16 से 31 जुलाई तक पूर्ण लॉकडाउन का ऐलान किया जबकि हरियाणा ने 21 अगस्त को वीकेंड लॉकडाउन का फैसला किया।
राज्यों के मनमाने रवैए को देखकर ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 29 अगस्त को राज्य सरकारों से कंटेनमेंट जोन के बाहर लॉकडाउन लगाने का अधिकार वापस ले लिया। उससे पहले भी केंद्र सरकार ने राज्यों से कई बार लिखित निर्देश दिया कि वो एक जिले से दूसरे जिले और एक राज्य से दूसरे राज्य के बीच लोगों और सामानों की आवाजाही नहीं रोकें। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के एक शोध के मुताबिक, प. बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, मिजोरम और महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में अगस्त के आखिर तक नए कोरोना केस में औसतन साप्ताहिक वृद्धि की दर लॉकडाउन लागू किए जाने से पहले की दर के मुकाबले बढ़ गई। विश्लेषकों का मानना है कि राज्य सरकारों की तरफ से घोषित लॉकडाउन से ऐसा कोई मकसद पूर्ण नहीं हुआ बल्कि पटरी पर आ रही अर्थव्यवस्था को झटका जरूर लगा।