17 साल बाद रायपुर में सी-बैंड डॉप्लर राडार : 250 किमी दायरे में 3 घंटे पहले पता चलेगा कहां आंधी, बारिश और तूफान आने वाला है



रायपुर । पिछले साल 23 सितंबर को मौसम एक दम साफ था। अचानक मौसम बदला और बादलों की गडग़ड़ाहट के साथ तेज बारिश शुरू हो गई। स्कूल से लौट रहे पांच छात्र और तीन अन्य लोग बारिश से बचने के लिए एक खंडहर में रुक गए। लेकिन, आसमानी बिजली गिर गई। यदि उन्हें मौसम की सटीक जानकारी पहले से होती तो शायद उनकी जान बच सकती थी।

लेकिन अब तक पूर्वानुमान के लिए नागपुर मौसम विभाग पर निर्भर थे। अब ऐसा नहीं होगा। 17 साल के लंबे इंतजार के बाद रायपुर स्थिति कृषि विश्वविद्यालय में डॉप्लर राडार लग गया है। मई से इसने डेटा देना भी शुरू कर दिया है। 250 किमी दायरे मौसम के पूर्वानुमान की सटीक जानकारी देता रहेगा। किसानों को भी बोवनी एवं अन्य कार्यों के लिए इसका फायदा मिलेगा।
मौसम विशेषज्ञ एचपी चंद्रा के अनुसार छत्तीसगढ़ में डॉप्लर राडार नहीं होने से मौसम विभाग सैटेलाइट और पड़ोसी प्रदेशों के राडार की तस्वीरें देखकर अलर्ट जारी करता था। सैटेलाइट 8 किमी लंबे और 8 किमी चौड़े हर प्रकार के बादलों की तस्वीर उपलब्ध कराता है, इसलिए पहले जारी होता रहा मौसम अलर्ट ज्यादा सटीक नहीं होता था।
इसका एक नुकसान यह भी था कि हमारे यहां के मौसम वैज्ञानिक पड़ोसी प्रदेशों के राडार से छत्तीसगढ़ के बाहरी सीमा में होने वाले मौसमी उतार-चढ़ाव का अनुमान नहीं लगा पाते थे। रायपुर में राडार लगने से मध्य क्षेत्र के साथ संपूर्ण प्रदेश में आने वाले तीन घंटे में कहां-कहां तेज बारिश, बिजली व तूफान की संभावना है, इसका सटीक अनुमान लगाया जा सकता है।
डॉप्लर राडार कैसे काम करता है
राडार एक विशेष प्रकार की तरंगें उत्सर्जित करता है। ये तरंगें मौसम की घटनाओं जैसे कि वर्षा की बूंदों या हवा से टकराती हैं। जब तरंगें वापस परावर्तित होती हैं, तो उनकी आवृत्ति में परिवर्तन होता है (डॉप्लर प्रभाव)। यह परिवर्तन राडार को वस्तु की गति और दिशा निर्धारित करने में मदद करता है। डेटा को एक रंगीन छवि में बदल दिया जाता है, जो मौसम की भविष्यवाणी और निगरानी के लिए उपयोग की जाती है।