परीक्षा के नाम पर अटल विश्विद्यालय में उमड़ी परीक्षार्थियों की भीड़

पांच महीने का सोशल डिस्टेन्स एक दिन में ध्वस्त
भीड़भाड़ के कारण कोरोना विस्फोट की आशंका गहराई
बिलासपुर। आखिर वही हुआ, जिससे बचने के लिए इतनी कवायद की गई थी। वैसे तो दुनिया में कोरोना की आहट दिसंबर महीने के पहले सप्ताह से ही महसूस होने लगी थी लेकिन मार्च में इस की धमक बढऩे के बाद सबसे पहले स्कूल कॉलेज बंद किए गए और परीक्षाएं निरस्त की गई, ताकि छात्र छात्राएं संक्रमित ना हो पाए। मगर अब नुमाइशी परीक्षा के नाम पर छात्र छात्राओं को कोरोना संकट में झोंक दिया गया है।आगामी 16 सितंबर से आरंभ होने वाले विश्वविद्यालयिन परीक्षाओं के लिए उत्तर पुस्तिकाएं बांटने की शुरुआत शुक्रवार से हो चुकी है। दूसरे दिन शनिवार को भी सभी कॉलेजों में परीक्षार्थियों की भारी भीड़ नजर आ रही है। इस भीड़ में सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ गई यानी कि 5 महीने तक जिन छात्र-छात्राओं को कोरोना के नाम पर घर में रोका गया, अब उन्हें संक्रमण के सबसे बुरे दौर में यू कोरोना की भट्टी में झोंक दिया गया है। शनिवार को भी बिलासपुर के लगभग सभी कॉलेजों में जैसे सीएमडी, डीपी विप्र ,बिलासा आदि सभी जगह छात्र छात्राओं की भारी भीड़ नजर आ रही है।
प्रश्न पत्र हासिल करने के लिए सभी आपस में गुत्थमगुत्था हो रहे हैं। हालांकि इससे बचने के लिए विश्वविद्यालय ने ऑनलाइन उत्तर पुस्तिका भी उपलब्ध करा दी है लेकिन इसकी जानकारी और सुविधा ना होने से अधिकांश छात्र छात्राएं कॉलेज पहुंच गए हैं। 16 सितंबर से आरंभ होने वाली बीए ,बीएससी बीकॉम ,एमएससी ,एमए,एमकॉम अंतिम वर्ष की परीक्षा को हम नुमाइशी परीक्षा क्यों कह रहे है इसके पीछे भी बड़ी वजह है । वैसे तो इस के तहत प्राइवेट विद्यार्थी भी सभी विषयों की परीक्षा देंगे ।लगभग 72,000 परीक्षार्थी अटल विश्वविद्यालय के तहत इस परीक्षा में शामिल होंगे। मगर यह परीक्षा एक औपचारिकता भर है, क्योंकि ऐसी परीक्षा के बारे में ना तो पहले आपने कभी सुनी होगी और ना देखी होगी।
इस परीक्षा से काफी पहले ही छात्र-छात्राओं को उत्तर पुस्तिका उपलब्ध करा दी गई है ।परीक्षा तिथि पर घर बैठे ही परीक्षार्थियों को आधा घंटा पहले ईमेल, व्हाट्सएप और अन्य सोशल साइड की मदद से प्रश्न पत्र हासिल होंगे ,जिसे उन्हें 3 घंटे में हल करना होगा। मजेदार बात यह है कि वे इसे अपने सेंटर पर आराम से अगले दिन भी जमा कर सकते हैं । यानी कहने को तो परीक्षा में प्रश्न पत्र हल करने के लिए 3 घंटे की समय अवधि है लेकिन छात्र छात्राओं के पास पूरा दिन है ,जब वे घर पर बैठकर आराम से किताब खोलकर नकल करते हुए प्रश्न पत्र हल कर सकते हैं। ऐसे में अगर किसी को कम नंबर मिले या कोई फेल हो जाए तो उसका तो भगवान भी भला नहीं कर सकता। पहले तय नियम के अनुसार प्रश्न पत्र हल करने के बाद 2 घंटे के भीतर इन्हें केंद्र में जमा करना था, लेकिन कुछ चालाक परीक्षार्थियों ने सेंटर के आसपास ही परीक्षा देने का जुगाड़ बना लिया था ताकि उन्हें प्रश्न पत्र हल करने के लिए अतिरिक्त 2 घंटे का वक्त मिल सके ,लेकिन अब इसकी भी जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि नए नियम के तहत अब परीक्षार्थी चाहे तो दूसरे दिन भी सेंटर में जाकर प्रश्न पत्र जमा कर सकते हैं । वही दूरदराज के विद्यार्थी स्पीड पोस्ट से या फिर उत्तर पुस्तिका स्कैन कर महाविद्यालय के पोर्टल में भी भेज सकते हैं, यानी यह कैसी औपचारिक परीक्षा हो रही है जिसमें परीक्षार्थी घर बैठे आराम से नकल करते हुए प्रश्न पत्र हल कर सकते हैं , और इसके लिए उनके पास पूरा दिन है। ऐसे में विरला ही होगा जो प्रश्न पत्र हल नहीं कर पाएगा और उसे पूरे नंबर नहीं मिलेंगे। जब इस तरह की ही परीक्षा करानी थी तो इससे भला था सबको जनरल प्रमोशन दे देते। इस बहाने इतना अपवय्य तो नहीं होता और ना ही इस तरह से अब तक सुरक्षित बचे परीक्षार्थी संक्रमण की आंच में झोंके जाते, जैसा कि उत्तर पुस्तिका लेने और जमा करने के नाम पर होना है । इसे विश्वविद्यालय और शिक्षा विभाग कि उस बुरे निर्णय की तरह हमेशा याद रखा जाएगा जिसका सदा उपहास ही उड़ेगा।