आशियाना उजडऩे की गुहार लेकर 63 किलोमीटर की पदयात्रा कर पहुँचे 15 वनवासी परिवार

कलेक्टर भी रह गए दंग कार्यवाही पर जताई अनिभिज्ञता तुरंत एसडीएम को दिए दिशा निर्देश
बिलासपुर। कोटा तहसील अंतर्गत ग्राम केंदा में वनवासियों के 15 मकान जबरन तोड़े जाने की शिकायत लेकर मंगलवार को बड़ी संख्या में ग्रामीण पैदल चलकर बिलासपुर पहुंचे। ये आशाहीन बेआसरा ग्रामीण बेघर हो चुके है, अब जाए तो जाए कहा अपनी आशियाना की तलाश में भटकते ग्रामीण कलेक्टर से लगाई गुहार। बताया जा रहा है कि यहां चर्मकार, केंवट, आदिवासी समुदाय के लोग कई-कई दशकों से कच्चा-पक्का मकान बनाकर रह रहे थे। साथ ही यहां उनके द्वारा खेती भी की जा रही थी। आरोप है कि केंदा की सरपंच कल्याणी देवी और महिला स्व सहायता समूह के द्वारा उनके झोपड़ी नुमा मकानों को भी वन विभाग के अधिकारियों, सरपंच और पुलिस की मदद से बिना नोटिस के तोड़ दिया गया।
जिसके कारण बरसात के इस मौसम में यह सभी बेघर हो गए। बेघर होने वालों में 2 माह की बच्ची से लेकर 101 साल की बुजुर्ग महिला भी शामिल है। कोरोना संकट, लॉकडाउन और बरसात के इस मौसम में मकानों को ना तोड़े जाने की बात प्रधानमंत्री से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक कह चुकी है। बावजूद इसके दुर्भावना के साथ गरीबों के मकानों को तोड़ दिया गया, साथ ही उनके खेतों में तैयार फसल को भी नष्ट कर दिया गया।
बरसात से बचने इन लोगों ने पन्नी और बांस की मदद से ठौर बनाने की कोशिश की तो वन विभाग के अधिकारियों ने उसे भी हटा दिया। बताया जा रहा है कि इन परिवारों का सब कुछ लुट गया। मकान, खेत सब कुछ बर्बाद होने के बाद सड़क पर आ चुके इन लोगों के सर से आसरा भी छीना जा रहा है। इसकी शिकायत लेकर केंद्र से पैदल चलकर बच्चे, बूढ़े, महिलाएं बिलासपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे लेकिन कलेक्ट्रेट का दरवाजा बंद होने से उन्हें अंदर प्रवेश नहीं मिला। जिसके बाद सभी कलेक्टर के इंतजार में दरवाजे के बाहर ही घंटों बैठे रहे। भूखे प्यासे इन आदिवासियों को देखकर जूदेवसेना और विश्व हिंदू परिषद की ओर से उनके लिए भोजन की व्यवस्था की गई, वही इनके द्वारा कलेक्टर से मुलाकात करने में भी उनकी मदद की गई।
कार्यालय से निकलने के दौरान पीडि़त पीडि़तों ने बिलासपुर कलेक्टर को घेर लिया और अपनी आपबीती सुनाते हुए उसी स्थान पर पुन: मकान बनाने की अनुमति मांगी जहां उनके घर तोड़े गए थे। बताया जा रहा है कि इस कार्यवाही से पूरी तरह अनभिज्ञ कलेक्टर भी इससे आश्चर्यचकित रह गए। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि मौके पर ही कलेक्टर ने कोटा एसडीएम से बात कर उन्हें फटकार लगाई तो वही शीघ्र अति शीघ्र समस्या के निराकरण का वादा भी किया। अंधेरे में किसी उम्मीद की किरण की तरह कलेक्टर के आश्वासन से थोड़ी राहत महसूस करते हुए ग्रामीण केंदा लौट गए ।
वे पैदल ही लौट रहे थे लेकिन जूदेवसेना और विश्व हिंदू परिषद की ओर से उनकी वापसी के लिए वाहन की व्यवस्था की गयी। अगर यह ग्रामीण प्रतिबंधित वन भूमि में काबिज थे भी तो भी बगैर उनके पुनर्वास की व्यवस्था किये बरसात के इस मौसम में उनका घर इस तरह नहीं तोड़ा जाना चाहिए था। प्रशासन को चाहिए कि शीघ्र अति शीघ्र उनके पुनर्वास की व्यवस्था करें और अगर यह कारवाही नियम विरुद्ध हुई है तो दोषी कर्मचारियों पर कार्यवाही भी की जाए।