कृषि बिल पर राज्यसभा में कौन से दल मोदी सरकार के साथ, कौन खिलाफ

किसानों और खेती-बाड़ी से जुड़े दो बिल आज राज्यसभा में पेश किए जाएंगे. इन बिलों को लोकसभा में पहले पास किया जा चुका है. इन बिलों को लेकर विपक्ष, किसान संगठनों के विरोध के बीच मोदी सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह झुकने वाली नहीं है. हालांकि बिल पास होने के विरोध में एनडीए सरकार की सहयोगी पार्टी अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल इस्तीफा दे चुकी हैं.

अब सवाल है कि राज्यसभा में इन दो बिलों को पास कराने के लिए सरकार के पास पर्याप्त संख्याबल है? लेकिन पीछे मुड़कर देखने पर पता चलता है कि सरकार उन दलों के सहारे कई विवादित विधेयकों को भी पारित कराने में सफल रही है जो बीजेपी और कांग्रेस में से किसी को सपोर्ट नहीं करते हैं. यानी अतीत में सरकार उन पार्टियों के समर्थन से विवादास्पद बिलों को पारित करने में सफल रही है जो गैर-बीजेपी गैर-कांग्रेस खेमे से आते हैं.

किसानों से जुड़े दोनों विधेयकों को राज्यसभा पारित कराने को लेकर सरकार लगातार प्रयास में जुटी रही. हालांकि एनडीए की सहयोगी पार्टी अकाली दल के अलग होने से एक संकट दिखता है, और नंबर गेम का सवाल खड़ा होता है कि क्या बिल पास कराने के लिए सरकार पर्याप्त संख्याबल जुटा पाएगी.

किसानों के मुद्दे पर अकाली दल एनडीए का साथ छोड़ चुकी है. टीआरएस के प्रमुख और तेलंगाना के सीएम केसी राव ने अपनी पार्टी के सांसदों से इन विधेयकों का विरोध करने और खिलाफ में वोट करने को कहा है. तेलंगाना राष्ट्र समिति के पास राज्यसभा में 7 सांसद हैं जो इन विधेयकों के खिलाफ वोट करेंगे.

कभी बीजेपी की दोस्त रही शिवसेना फिलहाल अलग खेमे में हैं. शिवसेना ने लोकसभा में इन विधेयकों का समर्थन किया. लेकिन हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद वह भी किसानों से जुड़े तीनों विधेयकों के खिलाफ है, लेकिन कन्फ्यूज दिख रही है. हालांकि शिवसेना सरकार पर हमलावर है. शिवसेना सांसद संजय राउत कहते हैं कि एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. अकाली दल बीजेपी का साथ छोड़ चुका है. वह कहते हैं कि महाराष्ट्र पंजाब और हरियाणा के किसानों के सपोर्ट में खड़ा है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने भी बिल के खिलाफ वोट करने की बात कही है.

नंबर गेम की कहानी

सदन में 243 सदस्य हैं. दो सीट खाली हैं. अगर सभी उपस्थित होते हैं और मतदान करते हैं तो 122 वोट की जरूरत होगी. समर्थन जुटाने में जुटे बीजेपी के एक नेता बताते हैं कि विधेयक आसान से सदन में पारित हो जाएंगे. वो दलील देते हैं कि सरकार के पास कम से कम 115 की संख्या है जबकि विपक्ष 100 की संख्या पार नहीं कर पाएगा. कुछ अनुपस्थित रहेंगे, कुछ अन्य वजहों से वोट नहीं कर पाएंगे.

बिल के समर्थन में

नीतीश कुमार की जदयू के 5 सदस्यों के साथ बीजेपी के पास 86 सदस्य हैं. निर्दलीय और नामांकित सदस्य भी बीजेपी को समर्थन करेंगे लिहाजा सरकार के पास उच्च सदन में 105 सदस्य होंगे.

बिल के खिलाफ कौन

दूसरी तरफ कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, टीएमसी, बसपा, सपा, वामदल, डीएमके, राजद, अकाली दल और टीआरएस सहित 109 सदस्य बिल के खिलाफ वोट करेंगे.

गेम चेंजर

इन संख्याओं को देखकर लग सकता है कि सरकार बिलों को आगे बढ़ाने में विफल हो सकती है. लेकिन संख्या का खेल राज्यसभा पर निर्भर करता है. लेकिन वर्षों से देखा जा रहा है कि राज्यसभा का खेल तीसरे खेमे पर निर्भर करता है यानी वे दल गेम चेंजर साबित होते हैं जो गैर एनडीए और गैर यूपीए खेमे के हैं. इनमें अन्नाद्रमुक, बीजद, वाईआरएस कांग्रेस और एजीपी शामिल हैं.

शिवसेना ने इन बिलों के खिलाफ बहुत शोर मचाया है. लेकिन उसने लोकसभा में कृषि विधेयकों के समर्थन में वोट किया. अगर राज्यसभा में शिवसेना के सांसद समर्थन करते हैं तो सरकार का आंकड़ा 108 पहुंच जाएगा. वहीं बीजद और अन्नाद्रमुक के पास क्रमशः 9-9 सदस्य हैं. इनका समर्थन मिल सकता है. फिर सरकार का आंकड़ा 126 हो जाएगा. वाईआरएस कांग्रेस के 6 राज्यसभा सदस्य हैं, अगर पार्टी से सपोर्ट किया तो बिल के समर्थन में 132 वोट होंगे.

बहरहाल, कई पार्टियों के राज्यसभा में करीब दर्जनभर सांसद हैं. 15 अन्य सांसद पहले से ही सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले रहे हैं. 10 सांसद पिछलें हफ्ते से कोरोना पॉजिटिव हैं. इस लिहाज से सरकार की स्थिति मजबूत दिख रही है.

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