गोधन न्याय योजना: गोबर विक्रेताओं को 8.97 करोड़ रुपए का हुआ ऑनलाइन भुगतान, अब तक हो चुका 47.38 करोड़ रुपए का भुगतान

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज राज्य शासन की महत्वाकांक्षी ‘गोधन न्याय योजना’ के तहत राज्य के 77 हजार 592 ग्रामीणों एवं गौपालकों से 20 अक्टूबर से 5 नवम्बर के मध्य गौठानों में क्रय किए गए गोबर के एवज में 8 करोड़ 97 लाख रुपए का ऑनलाइन भुगतान किया। गोधन न्याय योजना के तहत अब तक गोबर विक्रेताओं को 47 करोड़ 38 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि सभी विभागों के समन्वित प्रयास से गौठान और गोधन न्याय योजना का राज्य में सफल क्रियान्वयन हो रहा है और इसका लाभ ग्रामीणों, किसानों, पशुपालकों सहित समाज के गरीब तबके के लोगों को मिलने लगा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन और विक्रय भी शुरू हो चुका है। इससे अब महिला समूहों को भी लाभ मिलने लगेगा। उन्होंने वर्मी कम्पोस्ट सहित अन्य सामग्रियों के निर्माण के लिए महिला समूहों को प्रशिक्षित किए जाने पर जोर दिया। मुख्यमंत्री ने निर्माणाधीन एवं अप्रारंभ गौठानों को तेजी से पूरा कराने और इसे आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित करने की बात कही। उन्होंने महिला समूहों द्वारा उत्पादित सब्जी एवं अन्य सामग्रियों की मार्केटिंग के लिए उन्हें शासकीय संस्थाओं विशेषकर स्कूलों में संचालित मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम तथा आश्रम-छात्रावास में आपूर्ति सुनिश्चित करने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि महिला समूह मांग आधारित सामग्रियों का उत्पादन करें, ताकि उन्हें लाभ होता रहे। उन्होंने कहा कि सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना और राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चर्चा पूरे देश में है। उन्होंने राज्य में इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए सभी को बधाई और शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गोधन न्याय योजना के तहत प्रत्येक पखवाड़े में गोबर खरीदी की राशि का भुगतान कर अपने वादे को निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत अब तक 47.38 करोड़ रूपए का भुगतान गोबर बेचने वाले ग्रामीणों एवं गौपालकों को किया जा चुका है। यह समाज के जरूरतमंद एवं गरीब लोगों को सीधा लाभ पहुंचाने वाली योजना है। उन्होंने कहा कि गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट की गुणवत्ता की जांच के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में प्रयोगशाला की स्थापना की जा रही है। गौठानों के आजीविका मिशन से जोडऩे की कार्ययोजना है। उन्होंने गौठानों में आजीविका मूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिलों में स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र को 10-10 गौठानों से तथा एग्रीकल्चर, डेयरी एवं मत्स्य महाविद्यालयों को भी गौठानों से जोडऩे की बात कहीं।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम.गीता ने बताया कि राज्य में 5454 गौठान निर्मित है, जिसमें से 3677 गौठानों में गोबर की खरीदी की जा रही है। अब तक 23 लाख 68 हजार 900 क्विंटल गोबर क्रय किया गया है। उन्होंने बताया कि गोबर विक्रेताओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के 51.51 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति वर्ग के 37.24 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति वर्ग के 7.40 प्रतिशत हितग्राही शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्मी खाद के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गौठानों में वर्मी टांको का निर्माण तेजी से कराया जा रहा है। अब तक 44 हजार से अधिक टांके बनाए जा चुके है, जबकि 16 हजार टांके निर्माणाधीन है। गौठानों में 8 हजार से अधिक क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन हुआ है। जिसमें से एक हजार क्विंटल खाद की बिक्री हो चुकी है। शेष खाद की मात्रा की पैकेजिंग एवं विक्रय प्रक्रियाधीन है। उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना शुरू होने से बीते 3 माह में सक्रिय गौठानों की संख्या में लगभग 1 हजार की बढ़ोत्तरी हुई है। इस अवसर पर वन मंत्री मोहम्मद अकबर, संसदीय सचिव शिशुपाल शोरी, सचिव कृषि अमृत कुमार खलखो, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, संचालक उद्यानिकी एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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