पाकिस्तान-चीन से तनाव के बीच भारत ने किया सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण
नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत ने आज सुबह 10 बजे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से जमीन में वार करने वाली ब्रह्मोस सूपरसोनिक क्रुज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सीधे अपने टारगेट को मार गिराया। इसका टार्गेट दूसरे द्वीप पर था। इसी महीने भारत ने बालासोर में किया क्विक रिएक्शन मिसाइल का सफल परीक्षण मिसाइल परीक्षण किया था। ये परीक्षण ऐसे समय में किया गया है जब भारत और चीन के एलएसी पर विवाद चल रहे हैं। इस ट्रायल के बाद अब मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। आज सुबह 10 बजे इसका परीक्षण किया गया। इस टेस्ट को भारतीय सेना द्वारा किया गया जिसमें डीआरडीओ द्वारा बनाए गए मिसाइल सिस्टम के बनाए गए बहुत से रेजिमेंट हैं। इस मिसाइल की मार करने की क्षमता अब 400 किलोमीटर हो गई है।
The supersonic cruise missile was testfired at 10 AM today & it successfully hit its target. The test was conducted by the Indian Army which has many regiments of the DRDO-developed Missile system. The strike range of BrahMos missile has now been enhanced to over 400 km: Sources https://t.co/dXlgqi9O2I
— ANI (@ANI) November 24, 2020
ब्रह्मोस मिसाइल एक यूनीवर्सल लंबी रेंज सूपरसोनिक क्रुज मिसाइल सिस्टम है जिसे जमान, समुद्र और हवा से लांच किया जा सकता है। इस मिसाइल को भारतीय सेना, डीआरडीओ और रशिया ने बनाया है। इसके सिस्टम को दो वेरिएंट्स के हिसाब से बनाया गया है। एसे एंटी-शिप और लैंड-अटैक रोल के हिसाब से बनाया गया है। ब्रह्मोस मिलाइल भारतीय सेना और जलसेना में कमीशन की गई हैं। ब्रह्मोस सूपरसोनिक क्रुज मिसाइल सिस्टम अपना श्रेणी में पूरी दुनिया का सबसे तेज ऑपरेशनल सिस्टम है। हाल ही में डीआरडीओ ने मिसाइल की रेंज को 298 किलोमीटर से 450 किलोमाटर तक बढ़ाया है।
पिछले दो महीनों में डीआरडीओ ने पहले की और नई मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। इसमें शौर्य मिसाइल सिस्टम भी शामिल है जो 800 किलोमीटर कर मार कर सकता है। इसमें हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी भी शामिल है। पिछले महीने इंडियन नेवी ने अपने युद्धपोत आईएनएस चेन्नई से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह 400 किलोमीटर तक हमला करने में सक्षम है। भारत अब सूपरसोनिक क्रुज मिसाइल का मिर्यात करने के लिए बाजारों की तलाश कर रहा है। इन मिसाइलों को डीआरडीओ के प्रोजेक्ट पीजे10 के तहत बनाया गया है। इन मिसाइलों को 90 के दशक के बाद भारत और रूस के साझा प्रयास के बाद तीनों सेनाओं में शामिल किया था।