संयुक्त ट्रेड यूनियन का देशव्यापी हड़ताल शुरू: BSP मेनगेट पर कर्मियों ने किया प्रदर्शन

भिलाई। संयुक्त ट्रेड यूनियनों की ओर से केंद्र सरकार की कथित मजदूर व जन विरोधी नीतियों के खिलाफ 26 नवंबर की देशव्यापी हड़ताल शुरू हो गया है। गुरुवार को भिलाई स्टील प्लांट के मेनगेट के अलावा, बोरिया और मरोदा गेट पर कर्मियों ने जमकर प्रदर्शन किया। अलग-अलग यूनियनों के नेताओं के साथ ठेका श्रमिकों ने भी कदमताल किया। संयुक्त ट्रेड यूनियन की ओर से भिलाई स्टील मजदूर सभा एटक के महासचिव विनोद कुमार सोनी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय श्रम मापदंड हो या सौ वर्षों से अधिक समय से मजदूर आंदोलनों की उपलब्धियों के रूप में बनाए गए 44 केन्द्रीय श्रम कानूनों के श्रम अधिकार, सबको संसद के बहुमत का दुरुपयोग कर कोविड 19 महामारी के कहर एवं प्रतिबंधित गतिविधि काल का फायदा उठाकर दफन कर दिया गया है। भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने श्रमिक संगठनों की 26 नवंबर को प्रस्तावित हड़ताल को पहले ही अवैध घोषित करते हुए इसमेंं शामिल होने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी जारी की थी। प्रबंधन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि 26 नवंबर को कार्य में अनुपस्थिति को हड़ताल में भाग लेना माना जाएगा। ऐसी अनधिकृत अनुपस्थिति के लिए वेतन कटौती के अतिरिक्त कंपनी के स्थाई आदेशों (संयंत्र/खदान), एचएसएल अनुशासन व अपील नियम एवं कंपनी के अन्य लागू नियमों के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बावूजद प्रबंधन की चेतवानी को सिरे से नकारते हुए सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी हड़ताल ेंशामिल हुए हैं।

नहीं अवैध करार दिया जा सकता हड़ताल को
सीटू की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसी भी न्यायालय ने हड़ताल को अवैध करार नहीं दिया है। प्रबंधन की ओर से जारी परिपत्र से कर्मियों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। परिपत्र में प्रबंधन ने सूचित किया है कि 26 नवंबर को अनुपस्थित रहना हड़ताल में भाग लेना माना जाएगा। यूनियन का कहना है कि हड़ताल में भाग लेना तब तक अनुशासनहीनता नहीं है जब तक इस हड़ताल को किसी न्यायालय ने अवैध करार नहीं दिया हो। इस हड़ताल में भाग लेना स्थाई आदेश के अंतर्गत अनुशासनहीनता के दायरे में नहीं आएगा। सीटू नेता ने एसपी डे बताया है कि हड़ताल के लिए भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी विशेषकर युवा कर्मचारी पूरी तरह अडिग हैं। कर्मियों में आक्रोश का सबसे बड़ा कारण है प्रबंधन की कथित मनमानी। कर्मी इस बात को भी अच्छे से अनुभव कर रहे हैं कि जब कानून के रहते हुए प्रबंधन मनमानी कर रहा है तब श्रम कानूनों का विलय कर बनाई गई श्रम संहिताओं में श्रमिक विरोधी प्रावधानों के पश्चात प्रबंधन को मनमानी करने की छूट पूरी तरह मिल जाएगी।

इन मांगों को लेकर हड़ताल
पदनाम और सेवाकाल को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं पदनाम परिवर्तन एवं प्रशिक्षण काल को सेवाकाल में जोड़कर पदोन्नति देने के नियम को 2003 से लागू करने का मामला अभी तक लंबित रखना केवल प्रबंधन के अडिय़ल रवैए को ही दर्शाता है। यह दो ऐसे मामले हैं जिसमें कंपनी पर कोई आर्थिक भार नहीं पडऩा है, फिर भी इस मामले को हल करने में प्रबंधन गंभीर नहीं है।

कर्मियों पर लादा जा रहा काम का बोझ
डे ने कहा है कि 26 नवंबर को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल की अनदेखी कर सरकार निरंतर कर्मियों पर बोझ बढ़ाने की ओर बढ़ रही है । इसी क्रम में 19 नवंबर को श्रम मंत्रालय ने कार्यस्थल पर व्यवसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य पर संहिता से संबंधित नियमों को जारी करते हुए उसमें अधिकतम 12 घंटे कार्य दिवस का प्रावधान शामिल किया है।

इंटक सभी सदस्य शामिल हुए हड़ताल में
स्टील एंप्लाइज यूनियन इंटक की कार्यकारिणी की बैठक में बताया कि वेतन समझौता में हो रही देरी, पदनाम ,ग्रेच्युटी सीलिंग, सेल पेंशन स्कीम में ंकंपनी द्वारा अंशदान की कटौती को लेकर करके आक्रोश व्यक्त किया गया। यूनियन के महासचिव एसके बघेल ने कहा कि यह हड़ताल भिलाई इस्पात संयंत्र के श्रमिकों से जुड़े मुद्दों एवं केंद्र सरकार कथित श्रम विरोधी कानूनों को लेकर की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी पदाधिकारी, कार्यकारणी सदस्य, प्रतिनिधिगण और सक्रिय सदस्य हड़ताल में भाग ले रहे हैं।

मज़दूरों ने भरा बीएसपी के मेन गेट पर हुंकार
श्रमिक बस्तियों में प्रचार के पश्चात मंगलवार को बीएसपी के आईआर विभाग के गेट के समक्ष हिंदुस्तान इस्पात ठेका श्रमिक यूनियन सीटू के बैनर तले दोपहर 2 बजे आम सभा हुई। 26 नवंबर को संयंत्र के मुख्य द्वार के सामने हड़ताल को सफल बनाने डटे रहने का निर्णय मजदूरों ने लिया था। गुरुवार सुबह बड़ी संख्या में मजदूर धरना स्थल पहुंचे अपनी मांगों को लेकर हुंंकार भरा।

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