किसान आंदोलन: कड़ाके की ठंड में कृषि कानूनों के विरुद्ध प्रदर्शन आज 24वे दिन भी जारी

नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने के लिए दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे किसानों का आंदोलन आज 24वें दिन में प्रवेश कर चुका है। कड़ाके की ठंड और अपनों की जान भी किसानों का इरादा नहीं डिगा सकी है। किसानों का कहना है कि चाहे कितनी ही ठंड क्यों न पड़े हम यहां से तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक सरकार तीनों काले कानून वापस नहीं लेती। वहीं आंदोलन के चलते आज भी दिल्ली के कई बॉर्डर बंद हैं और कई रास्ते डायवर्ट किए गए हैं। चिल्ला बॉर्डर पर दिल्ली से नोएडा आने वाला लेन खुला है, हालांकि नोएडा से दिल्ली जाने वाला रास्ता पूरी तरह बंद है।

चिल्ला बॉर्डर पर दिल्ली से नोएडा आने वाला लेन खुला है, हालांकि नोएडा से दिल्ली जाने वाला रास्ता पूरी तरह बंद है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की है। मायावती ने ट्वीट कर कहा है कि केंद्र सरकार को तीन नए कृषि कानूनों को लेकर आंदोलित किसानों के साथ हठधर्मी वाला नहीं बल्कि सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों की मांगों को स्वीकार कर तीनों कानूनों को तत्काल वापस ले लेना चाहिए। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-यूपी बाॅर्डर पर डटे प्रदर्शनकारी सोलर पैनल से फोन और ट्रैक्टर की बैटरी चार्ज करते देखे गए हैं। एक किसान अमृत सिंह ने बताया, ‘सोलर प्लेट लेकर आए हैं कि अगर फोन की बैटरी डाउन हो जाएगी तो घर पर बात नहीं हो पाएगी, सरकार क्या सुविधा देगी वो हमारी मांग तो मान नहीं रही।’

सिंघु बॉर्डर पर शहीद किसानों की याद में आज होगा पाठ
कृषि कानूनों की खिलाफत के दौरान शहीद हुए किसानों की याद में शनिवार को सिंघु बॉर्डर पर सुबह दो घंटे के लिए पाठ होगा। सुबह नौ बजे से पाठ शुरू हो चुका है ताकि इस आंदोलन में कुर्बानी देने वालों की आत्मा को शांति मिल सके। इस आंदोलन में अलग अलग वजहों से अब तक 29 किसान शहीद हो चुके हैं। इनमें सिंघु, टीकरी बॉर्डर के अलावा हरियाणा, पंजाब से किसानों के हक की लड़ाई की मुहिम शुरू करने वाले शहीदों के नाम शामिल हैं। सिंघु बॉर्डर पर रोजाना अरदास हो रही है। शनिवार की सुबह शहीदों के नाम होगी, जहां किसान इस आंदोलन में खुद को न्यौछावर करने वालों को याद किया जाएगा। इसके बाद प्रसाद बांटे जाएंगे, फिर तमाम संगठनों के नेता किसानों को संबोधित करेंगे। इसके बाद आंदोलन के आगे की रणनीति बनाई जाएगी ताकि आंदोलन को और मजबूत किया जा सके। इनमें बाबा राम सिंह, माखन सिंह, लाभ सिंह, कुलविंदर सिंह, गुरप्रीत सिंह, गुरविंदर सिंह, अजय कुमार, लखवीर सिंह, मेवा सिंह, जतिन्दर सिंह, गुरदेव सिंह, जय सिंह सहित अन्य किसानों के नाम भी शामिल हैं।

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शनकारी आज 24वें दिन भी सिंघु बाॅर्डर पर डटे हुए हैं। एक 80 वर्षीय प्रदर्शनकारी रूमी राम ने बताया, ‘बहुत मुश्किल हो रही है लेकिन सरकार किसानों के बारे में नहीं सोच रही है।’