राज्य सरकार ने नियुक्ति मामले में जिला शिक्षा अधिकारी को किया सस्पेंड, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश

रायपुर । बस्तर के DEO राजेन्द्र कुमार झा को राज्य सरकार ने तत्काल प्रभार से सस्पेंड कर दिया है। स्कूल शिक्षा विभाग ने इस बाबत सस्पेंशन आर्डर जारी कर दिया है। राजेंद्र कुमार झा कई गंभीर आरोपों से घिरे हुए थे। राजेंद्र झा पर साल 2014 से 2018 के बीच अवैध तरीके से नियुक्ति करने और अनुकंपा नियुक्ति देने के आरोप थे। इस मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दायर की गयी थी, जिस पर 1 दिसंबर को कोर्ट ने तत्कालीन डीईओ से जवाब तलब भी किया था।

अपने आदेश में राज्य सरकार ने उल्लेख किया है कि जिला शिक्षा अथिकारी के पद पर रहते राजेंद्र झा ने आकाश सिंह, कुमारी हिमिका राव, मोहित कुमार ध्रुव को अपात्र हुए भी नियम विरूद्ध अनुकंपा नियुक्ति दे दी थी। वहीं बिना विज्ञापन जारी किये ही 70 भृत्यों की भी नियुक्ति कर दी। और ना सिर्फ नियुक्ति बल्कि उन्हें भुगतान भी करा दिया गया। आदेश में कहा गया है कि

राजेंद्र कुमार झा तत्कालीन व प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बस्तर, जिला जगदलपुर के छत्तीसगढ़ सिविल सेवा वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील नियम 1966 के नियम 9-1-क के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित करता है। तथा इनका मुख्यालय लोक शिक्षण संचालनालय रायपुर नियत किया जाता है” जानकारी के मुताबिक बस्तर डीईओ राजेंद्र झा ने 2013-14 और 2017-18 में बिना विज्ञापन जारी किये ही स्कूलों में 403 पदों पर भृत्य की नियुक्ति कर दी। वहीं तीन अनुकंपा नियुक्ति भी नियम कानून को ताक पर रखकर कर दी। इस मामले में जुलाई में भी बस्तर अधिकार सयुक्त मुक्ति मोर्चा की तरफ से कमिश्नर से शिकायत की गयी थी। अब मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

बस्तर जिले के शिक्षा विभाग में वर्ष 2017 में तात्कालिक जिला शिक्षा अधिकारी राजेन्द्र झा व तात्कालिक विभाग जवाबदार अधीनस्थ कर्मचारियों ने 403 भृत्य पद व 3 अनुकम्पा पद पर शासन द्वारा निर्धारित सभी भर्ती नियमों को ताक में रख अपने चेहतों की फर्जी नियुक्तियों कर दी। हैरानी की बात ये है कि सभी ब्लॉकों में पदस्थापना व शासन से बजट लेकर उन्हें तनख्वाह भी जारी कर दिया गया हैं। इस मामले में बस्तर अधिकार सयुक्त मुक्ति मोर्चा ने बस्तर कमिश्नर से मुलाकात कर शिकायत की थी। जिस के पश्चात कलेक्टर व कमिश्रर बस्तर ने अपने स्तर पर जांच कर सम्पूर्ण मामले की जानकारी सम्बंधित कार्यलय से मांगी गई थी जिसमें सम्बंधित कार्यलय के दो जिला शिक्षा अधिकारी व 1 डिप्टी कलेक्टर द्वारा पूरे मामले की जांच कर जो प्रतिवेदन कलेक्टर व कमिश्रर को उनके पत्र के एवज में सौपे उस रिपोर्ट में शिकायत के बिन्दुओ को सही पाया गया और यह बताया गया है। कि तात्कालिक जिला शिक्षा अधिकारी व कार्यालय कर्मचारियों द्वारा भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार से शासन द्वारा निर्धारित नियमो का पालन नहीं किया गया है। वह पूरी भर्ती ही नियम विरुद्ध है। इस पूरी जांच प्रक्रिया में तथ्यों को सही पाए जाने के बाद भी सरकारों में न ही अब तक भर्तियों को निरस्त किया गया है और न ही अब तक दोषियों पर कोई कार्यवाही कर आपराधिक मामला पंजीबद्ध किया गया है।

 

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