कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बाॅर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया, “हमें यहां बैठे हुए क़रीब एक महीना हो गया है, हमारी मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं। जब तक काले कानून वापस नहीं होंगे हम यहीं पर बैठेंगे।
कृषि मंत्री बोले- बातचीत से ही निकलेगा हल
पंजाब सहित कुछ अन्य राज्यों के किसानों को कृषि कानूनों को लेकर भ्रम पैदा हुआ है। वे अपना आंदोलन त्याग कर सरकार से बात करें, हम हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं।
मैं प्रदर्शनकारी किसानों से अपील करता हूं कि वे अपना विरोध खत्म करें और सरकार से बातचीत करें। मुझे उम्मीद है कि वे नए कृषि कानूनों के महत्व को समझेंगे, और इस मुद्दे को जल्द ही हल किया जाएगा।
आज, हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि पूरी राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंच जाएगी। इससे किसानों को बहुत फायदा होगा।
कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की कई सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का आंदोलन आज 30वें दिन में प्रवेश कर चुका है। किसानों ने आज से अपने आंदोलन को तेज करने का एलान किया है। इसके तहत आज से हरियाणा के सभी टोल फ्री किए जाएंगे। सरकार की तरफ से आए पत्र का क्या जवाब देना है इसको लेकर आज ही सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता अहम बैठक कर फैसला लेंगे। इसके साथ ही रोजाना की तरह आज भी दिल्ली की कई सीमाएं और रास्ते बंद रहेंगे।
पीएम मोदी ने 9 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में 18000 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की
दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना की अगली किस्त जारी की। प्रधानमंत्री ने 9 करोड़ से अधिक किसान लाभार्थियों के खातों में 18,000 करोड़ से अधिक की राशि ट्रांसफर की।
दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किसानों के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के लिए तीन कानून बनाए गए हैं। लेकिन आज कुछ लोगों के द्वारा गलतफहमी पैदा की जा रही है कि एमएसपी खत्म कर दी जाएगी। मैं किसानों को वचन दे रहा हूं कि किसी भी कीमत पर एमएसपी खत्म नहीं होगी।
किसानों के सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, जब नरेंद्र भाई प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना लेकर आए तब राहुल बाबा समेत विपक्ष के सारे नेता कहते थे कि किसानों का ऋण माफ करो। कांग्रेस की सरकार ने 10 साल में 60,000 करोड़ का ऋण माफ किया। नरेंद्र मोदी ने ढाई साल में ही 95,000 करोड़ सीधे किसानों के अकाउंट में डलवा दिए।
यूपी के सीएम योदी आदित्यनाथ ने आज कहा कि, किसानों की खुशहाली का काम पहले भी किया जा सकता था लेकिन पिछली सरकारों के पास फुर्सत नहीं थी। सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर परिवार, जाति के आधार पर भेदभाव करना जिन्होंने इसे अपने राजनीतिक जीवन का उद्देश्य बना दिया हो, आप उनसे क्या उम्मीद करते हैं?
दिल्ली-नोएडा यानी चिल्ला बॉर्डर पर पांचवें दिन भी क्रमिक अनशन पर 11 किसान बैठे हैं। दरअसल बीते पांच दिनों से जहां भी किसान आंदोलन पर बैठे हैं वह 11 की संख्या में क्रमिक अनशन पर बैठे हैं। 30 दिन से चल रहा है किसानों के आंदोलन के लिए पहले से ही टोल फ्री किया गया है। टोल फ्री करवाने के साथ किसानों ने टोल पर डेरा डाल लंगर बनाने की भी बात कही है, जिसके चलते कर्मचारी और मैनेजर डर के साए में काम करने को मजबूर हैं।
टोल का एक दिन का किराया होता है 45 लाख रुपये
हालात ये है कि महीने भर में करोड़ों का नुकसान मालिकों को झेलना पड़ा है। साथ ही एनएचआई को एक दिन का टोल का किराया करीबन 45 लाख रुपये दिया जाता है और इसी के चलते दिन 45 लाख निकाल पाना बेहद मुश्किल हो गया है। हालांकि टोल मैनेजर का कहना है कि 3 दिन के टोल फ्री होने की सूचना स्थानीय प्रशासन के साथ NHI को दी गई है।
किसान आंदोलन के चलते 25, 26 और 27 तीन दिन के लिए टोल फ्री करने का एलान किसानों द्वारा किया गया था और इसी के चलते मुरथल में स्थित भिगान टोल प्लाजा को किसानों द्वारा सुबह 9 बजे टोल फ्री करवाया गया है। आने-जाने वाले किसी भी वाहन से कोई भी पैसा नहीं लिया जा रहा है। वहीं महीना भर से किसानों के किसी भी जत्थे से कोई भी टोल नहीं लिया जा रहा। इसके साथ ही पानीपत से भारी वाहनों के लिए रूट डायवर्ट करने से भी टोल प्लाजा को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सोनीपत में NH 44 पर स्थित मुरथल टोल को किसानों द्वारा फ्री करवाया गया है। देर रात से टोल सुचारू रूप से चल रहा था लेकिन सुबह करीब 9:00 बजे किसानों का एक जत्था टोल पर पहुंच गया और फिर टोल को फ्री कराया। वहीं टोल फ्री होने के बाद किसी भी वाहन से किसी भी प्रकार का कोई भी पैसा नहीं लिया जा रहा है।
कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बाॅर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। एक प्रदर्शनकारी ने बताया, ‘हमें यहां बैठे हुए करीब एक महीना हो गया है, हमारी मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं। जब तक काले कानून वापस नहीं होंगे हम यहीं पर बैठेंगे।’
गाजीपुर बॉर्डर पर बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
किसानों का आंदोलन उग्र होने के चलते सरकार ने भी कमर कस ली है और तमाम प्रदर्शनस्थल पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है। दिल्ली-यूपी बाॅर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बाॅर्डर पर सुरक्षा बल तैनात किया गया है।