सात नए धान खरीदी केन्द्र शुरू होने से किसानों को राहत

कोरबा। मेहनत से खेतो में धान उगाने के बाद उसे बेचने में होने वाली कठिनाई और मशक्कत से कोरबा जिले के दो हजार 773 किसानों को छुटकारा मिल गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेश के किसानों को अपना धान सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए हर संभव सुविधा दी है। कोरबा जिले में राज्य शासन ने पिछले दो वर्षो में 14 नई सहकारी समितियां और सात नए उपार्जन केन्द्र शुरू किए हैं। निरधि, नोनबिर्रा, कुलहरिया, सुमेधा, दादर खुर्द, लबेद और तरईनारा में शुरू हुए इन नए उपार्जन केन्द्रो को मिलाकर जिले में अब 49 धान खरीदी केंद्रो में किसानों का धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है। इन नए धान खरीदी केन्द्रो के शुरू होने से किसानों को अपना धान बेचने में काफी सहूलियत हुई है। पहले उन्हें अपनी मेहनत से उपजाए धान को बेचने के लिए 20 से 25 किलोमीटर दूर तक जाना पड़ता था। धान को उपार्जन केन्द्र तक ले जाने के लिए ट्रैक्टर गाड़ी आदि की व्यवस्था में समय और पैसा दोनों ही खर्च होता था। कभी-कभी उपार्जन केन्द्र पर धान की आवक अधिक होने से रूकना भी पड़ जाता था। ऐसे में राज्य शासन ने किसानों को आसानी से अपनी फसल खरीदी केन्द्रो पर बेचने के लिए पूरे प्रदेश में 260 नए केन्द्र शुरू किए हैं।
इसी तारतम्य में कोरबा जिले में पिछले दो सालों में 14 नई सहकारी समितियां और सात नए उपार्जन केन्द्र खुले हैं। अब समितियों की संख्या 27 से बढ़कर 41 हो गई है और धान खरीदी केन्द्र 49 हो गई है। कुलहरिया में खुले नए खरीदी केन्द्र से 637, लबेद से 419, सुमेधा से 163, निरधी से 584, दादर खुर्द से 332, करईनारा से 285 और नोनबिर्रा से 353 किसान जुड़े हैं। जो अब अपने ही गांव के पास धान बेच रहे हैं। कोरबा जिले में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में धान बेचने वाले किसानों की संख्या 27 हजार 694 से बढ़कर 32 हजार 589 हो गई है। वहीं पिछले वर्ष का धान का रकबा 45 हजार 803 हेक्टेयर से बढ़कर 48 हजार हेक्टेयर को पार कर गया है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत भी जिले के किसानों को 67 करोड़ 62 लाख रूपए का भुगतान चार किश्तों में किया जा रहा है। तीन किश्तों में अभी तक किसानों को 53 करोड़ 25 लाख रूपए की राशि मिल चुकी है। कोरबा जिले में 23 हजार किसानों का 118 करोड़ रूपए का अल्प कालीन कृषि ऋण भी माफ किया गया है। सरकार की इन सहुलियतों से किसानों को खेती के लिए जरूरी आदान सामाग्रियों बीज, खाद, दवाई आदि के लिए बहुत मदद मिली है और उनका खेती-किसानी के प्रति रूझान बढ़ा है।

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