सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना को दी हरी झंडी
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट के पास नए संसद परिसर के निर्माण को मंजूरी मिल गई है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को परियोजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया। अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने बहुमत से फैसला देते हुए कहा, ‘हम मानते हैं कि दी गई मंजूरी में कोई अड़चन नहीं है, भूमि के उपयोग में बदलाव में कोई असमानता नहीं है।’ शीर्ष अदालत ने परियोजना को पर्यावरण संरक्षण का ध्यान रखने और वायुमंडलीय प्रदूषण रोकने की कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी है।
फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा कि डीडीए एक्ट के तहत शक्ति का प्रयोग न्यायोचित और वैध है। पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पर्यावरण मंजूरी की सिफारिशें उचित और सही हैं और हम इसे बरकरार रखते हैं। अदालत ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए धरोहर संरक्षण समिति की मंजूरी आवश्यक है। अदालत ने परियोजना समर्थकों को समिति से अनुमोदन प्राप्त करने का निर्देश दिया है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में नए संसद की आधारशिला रखी थी। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया था कि जब तक अदालत इसपर कोई निर्णय नहीं देता तब तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। परियोजना का शिलान्यास कार्यक्रम 10 दिसंबर को आयोजित हुआ था।
इस परियोजना की घोषणा पिछले साल सितंबर में हुई थी, जिसमें एक नए त्रिभुजाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। इस परियोजना के तहत साझा केंद्रीय सचिवालय 2024 तक बनने का अनुमान है। यह परियोजना लुटियंस दिल्ली में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर लंबे दायरे में फैली हुई है।