करदाताओं के लिए 2 स्लैब में बेहतर चुनने की चुनौती बरकरार
नई दिल्ली। वित्त मंत्री ने बजट 2021-22 में आयकर दाताओं को बचत के मोर्चे पर कोई राहत नहीं दी, जिससे उनके सामने दो कर स्लैब में बेहतर चुनने की चुनौती बरकरार है। बजट 2020 में सरकार ने कर जिले में कटौती तो की थी लेकिन को भी बनाए रखा था। दोनों दरों को चुनने में असमंजस इसलिए होता है क्योंकि कम दरों वाला स्लैब चुनने वाले करदाताओं के लिए सभी तरह की टैक्स छूट खत्म कर दी गई है। वहीं रियायतों का लाभ लेने वाले करदाताओं को बढ़ी दर वाले स्लैब चुनना अनिवार्य बना दिया है।
एलटीए पर 36 हजार की अतिरिक्त छूट
सरकार ने वैसे तो नए और पुराने टैक्स को बिल्कुल नहीं छेड़ा है और न ही कोई रियायत दी है। बावजूद इसके चालू वित्त वर्ष के लिए करदाता एलटीए के रूप में 36 हजार तक अतिरिक्त टैक्स की बचत कर सकते हैं। इसके लिए 12 प्रतिशत से ज्यादा सामानों पर ही एलटीए वाउचर का इस्तेमाल करना होगा। जो करदाता ज्यादा दरों वाला स्लैब चुनते हैं उन्हें कर्ज, निवेश, बीमा और शिक्षा, स्वास्थ्य खर्च के रूप में टैक्स बचाने का मौका मिलता है। इसमें आयकर की धारा 80सी के तहत ही 1.5 लाख रुपये पर टैक्स बचाने की छूट मिल जाती है। इसका लाभ पाने के लिए 11 विकल्पों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसमें टैक्स सेविंग, एफडी, पीपीएफ, ईएलएसएस, एनएससी, जीवन बीमा, एनपीएस, होम लोन (मूलधन) ट्यूशन फीस, ईपीएफ, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना और सुकन्या समृद्धि योजना शामिल है। इसके अलावा 80सीसीडी (1बी) के तहत एनपीएस में 50 हजार की अतिरिक्त छूट ली जा सकती है। साथ ही और भी कई तरह की रियायतों का लाभ इस टैक्स स्लैब के साथ दिया जाता है।
घटी दरों वाले स्लैब के तहत आयकर का बोझ 10 फीसदी तक कम कर दिया गया है। हालांकि इसका लाभ कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों को ही मिलेगा। साथ ही जो बचत करने में असमर्थ रहते हैं, वे करदाता भी इस स्लैब का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसका चुनाव करने वाले करदाताओं के लिए 70 तरह की रियायतें खत्म कर दी गई हैं। वित्त मंत्री का कहना है कि अगर 15 लाख रुपये कमाने वाला पहले 2.73 लाख रुपये टैक्स भरता है तो इस स्लैब में उसे 1.95 लाख रुपये का ही भुगतान करना होगा। इस तरह बिना छूट वाले स्लैप से 78000 रुपये की बचत हो सकती है।