अर्थव्यवस्था को दोहरा झटका, जनवरी में आईआईपी 1.6प्रतिशत घटा और फरवरी में महंगाई पहुंची 3 महीने के उच्चतम स्तर पर

नई दिल्ली। पटरी पर आ रही अर्थव्यवस्था को शुक्रवार को दोहरा झटका लगा। एक तरफ औद्योगिक उत्पादन फिर से नकारात्मक दायरे में आ गया और जनवरी में इसमें 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई, वहीं खाने-पीने की चीजों के दाम बढऩे से खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में तीन महीने के उच्च स्तर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गई। सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने जनवरी 2021 के लिये औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) और फरवरी के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के त्वरित अनुमान शुक्रवार को जारी किये।
आंकड़े के अनुसार मुख्य रूप से पूंजीगत सामान, विनिर्माण और खनन क्षेत्रों में गिरावट के कारण साल के पहले महीने में औद्योगिक उत्पादन 1.6 प्रतिशत घट गया। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) 77.6 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में जनवरी में 2 प्रतिशत की गिरावट आयी। जबकि पिछले वित्त वर्ष के इसी माह में इसमें 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
आंकड़े के अनुसार सबसे खराब प्रदर्शन पूंजीगत वस्तु क्षेत्र का रहा। इसमें आलोच्य महीने में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आयी जबकि एक साल पहले इसी माह में 4.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। इस बीच, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने दिसंबर 2020 के आंकड़े को संशोधित कर 1.56 प्रतिशत कर दिया है जबकि पूर्व में इसके 1.0 प्रतिशत का अनुमान जताया था। आईआईपी में नवंबर 2020 में गिरावट दर्ज की गयी थी। वहीं सितंबर और अक्टूबर 2020 में इसमें सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी।
महंगाई तीन माह के उच्चतम स्तर पर
खाद्य तेल और खाने पीने के दूसरे सामान के दाम बढऩे से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में पिछले तीन माह के उच्चस्तर 5.03 प्रतिशत पर पहुंच गई। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों में यह स्थिति देखी गई। इससे पिछले महीने जनवरी में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 4.06 प्रतिशत रही थी। इससे पहले नवंबर 2020 में यह 6.93 प्रतिशत की ऊंचाई को छू चुकी है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में खाद्य समूह की मुद्रास्फीति बढ़कर 3.87 प्रतिशत पर पहुंच गई। जनवरी में यह 1.89 प्रतिशत थी। वहीं, ”ईंधन और प्रकाश” समूह की यदि बात की जाये तो फरवरी में समूह की मुद्रास्फीति 3.53 प्रतिशत रही। हालांकि, जनवरी में यह इससे कुछ ऊपर 3.87 प्रतिशत पर थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में शामिल ‘तेल और वसाÓ वर्ग में मुद्रास्फीति एक महीने पहले के 19.71 से बढ़कर 20.78 प्रतिशत पर पहुंच गई। वहीं फलों के मामले में मुद्रास्फीति 4.96 प्रतिशत से बढ़कर 6.28 प्रतिशत हो गई। लेकिन सब्जियों में यह पिछले महीने जहां 15.84 प्रतिशत घटीं थीं उसके मुकाबले फरवरी में एक साल पहले के मुकाबले 6.27 प्रतिशत घटी है।
दूघ और दुग्ध उत्पादों, दालों और उसके उत्पादों, अंडे के मामले में महंगाई दर क्रमश 2.59 प्रतिशत, 12.54 प्रतिशत और 11.13 प्रतिशत रही। जनवरी में यह मुद्रास्फीति क्रमश: 2.73 प्रतिशत, 13.39 प्रतिशत और 12.85 प्रतिशत पर थी। स्वास्थ्य श्रेणी के उत्पादों के मामले में फरवरी में मुद्रास्फीति 6.33 प्रतिशत रही जबकि जनवरी में यह 6.02 प्रतिशत थी। वहीं परिवहन और संचार श्रेणी में मुद्रास्फीति जनवरी के 9.32 प्रतिशत से बढ़कर 11.36 प्रतिशत हो गई।
इक्रा लिमिटेड की प्रधान अर्थशास्त्री आदिति नायर ने कहा कि सीपीआई मुद्रास्फीति उम्मीद से अधिक तेजी से बढ़ी है और यह पांच प्रतिशत से आगे निकल चुकी है। वहीं इफ्को किसान संचार के सीईओ ने कहा, ”उपभोक्ता मूल्य सूचकांक प्राथमिक तौर पर खाद्य पदार्थों के दाम विशेषकर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढऩे की वजह से यहां भी खाद्य तेलों के दाम बढऩे से इसमें वृद्धि हुई है। बाजार में तरलता की मौजूदा स्थिति को देखते हुये ये दाम कुछ दिन और ऊंचे रह सकते हैं।
उन्होंने कहा, ”मार्च 2021 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के और बढऩे का अनुमान है। हालांकि, अप्रैल 2021 में इसमें तुलनात्मक आधार के कारण कमी आ सकती है। पिछले साल अप्रैल में लॉकडाउन के कारण मुद्रास्फीति बढ़ गई थी।