सटोरियों के शिकंजे में फंसा रोड सेफ्टी क्रिकेट
रायपुर। रोड सेफ्टी क्रिकेट अब पूरी तरह सटोरियों के शिकंजे में फंस गया है। टिकट बेचने से लेकर पास बांटने तक का ठेका कुख्यात सटोरिया अनिल आलू एंड कंपनी ने ले लिया है। पुलिस की आंख के नीचे छेरीखेड़ी स्थित एक नामचीन होटल से क्रिकेट का टिकट और पास बांटकर अनिल आलू क्रिकेटवीर कर्ण बन गया है।
रोड सेफ्टी क्रि केट हाईजेक हो चुका है। जिस सटोरियों का नियंत्रण पूरी तरह साफ दिखाई दे रहा है। शहर में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय रोड सेफ्टी वल्र्ड सीरीज़ टी-20 को सटोरियों ने तो अपना कब्ज़ा जमा रखा है, वही अब एक नई और बड़ी बात सामने आई है जिसमें मैच स्टेडियम के बाहर शूट-बूट में लोग नकली टिकट भी बेच रहे है। क्रिकेट प्रेमियों की दिवानगी ही है कि लोग काफी जद्दोजहद करके टिकट पाने के प्रयास कर रहे है। लेकिन क्रिकेटलवर्स को ये जानकर निराशा होगी कि टी-20 सीरीज़ की टिकट में भी कालाबाजारी शुरू हो चुकी है और इस कालाबाजारी के तार रायपुर से ही से जुड़े हुए है। इस कालाबाज़ारी के चलते मैच में जो लोग जाना चाहते है, वो लोग भी दोगुने कीमत पर मैच के टिकट और पास खरीद रहे है। इसके साथ ही कालाबाजारी के लिए इस बार कुछ लोगों ने स्टेडियम को ही अपना अड्डा बना लिया है। स्टेडियम के बाहर ही कुछ अपना अड्डा जमा लेते है ये वो लोग होते है जो कुछ गिने-चुने विभागों से मुफ्त के पास लेकर उसे महंगे दामों में बेच देते है।
टिकटों की कालाबाजारी
खासबात तो ये है की टिकटों की कालाबाजारी करने वालों की सुचना पुलिस के पास भी नहीं है। लोगों की खुलेआम कालाबाजारी जारी है। आम लोगों को घंटो इंटरनेट पर खपाने और लाइनों में लगने के बाद भी 1 टिकट न मिला हो लेकिन इन कालाबाजारी करने वालों के पास कई टिकिट हैं। इन लोगों के बारे में पुलिस को अब-तक कोई जानकारी भी नहीं है। शहर की कई होटलों में इन दिनों टी-20 सीरीज़ के चलते बाहरी लोग ठहरे हुए हैं।
रायपुर में रोड सेफ्टी वल्र्ड सीरीज़ टी-20 क्रिकेट मैचों पर लगने वाले ऑनलाइन सट्टे का भुगतान समय पर घर पहुंच सेवा के कारण लोग दांव लगाने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे है। कई इलाकों में तो पुलिसकर्मियों की सांठगांठ से यह कारोबार जोरों पर चल रहा है। कई सटोरिये ऐसे भी हैं जिन्होंने पुलिस की नजरों से बचने के लिए नामी गिरामी होटलों और पॉश कॉलोनियों में अपने ठिकाने बना लिए हैं। ये सटोरिये अपनी हिफाजत के लिए आम ग्राहकों के बाजए कुछ चुनिंदा लोगों के ही दांव बुक कर रहे हैं। नए ग्राहकों की एंट्री पुराने ग्राहकों की गारंटी के बाद ही हो रही है। सटोरियों ने ग्राहकों और खुद के नंबरों को अपने मोबाइल फोन पर फीड किया हुआ है। नए नंबरों को वो रिसीव तक नहीं कर रहे हैं ताकि गोपनीयता बरकरार रहे। लेकिन तू डाल-डाल तो मैं पात- पात की तर्ज पर सटोरिये भी अपनी सजगता दिखा रहे हैं। टिकट के लिए हो रही कालाबाज़ारी टिकट की कालाबाज़ारी करने वाले लोग टिकटों को लेने के बारे में आम जनता से बात करते है और टिकट को ब्लैक में बेच देते है, ये लोग टिकटों को जितने में खऱीदते हैं उससे थोड़ी ज्यादा कीमत पर बेच देते है। इसके बाद जब इन टिकटों की कीमत भी लगाई जाती है। 500 वाला 1500 रूपए में, 1000 वाला 2000 रूपए में और 1500 वाला 3000 रूपए में मिलता है। और अगर एक साथ 20 टिकट की मांग की जाए तो लोग स्पेशल डिस्काउंट भी देते है। साथ ही टिकट खरीदने वाले के घर का पता पूछ घर के आसपास ही टिकट उपलब्ध करवाने का भी सुझाव देते है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की कालाबाजारी का यह नेटवर्क कितना बड़ा हो सकता है। टिकट की बुकिंग भी ब्लैक में शहर में को पहले अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच का इतिहास रचा। इसका खुमार भी चरम पर रहा, ब्लैक में खूब टिकट बिके, पर केस एक भी नहीं बना। क्या कारण रहा कि टिकट कालाबाजारी की कोई बड़ी घटना नहीं पकड़ी जा सकी। ऑनलाइन गड़बड़ी या टिकटों की बिक्री में हेरफेर कहीं नहीं हुईं। ऐसा इसलिए, क्योंकि हर बार मैच में जो भी सट्टे के मामले पकड़े गए वह सायबर सेल ने ही ट्रेस किए थे। कहीं ऐसा जान बूझकर तो नहीं किया गया, इसे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। टिकट के लिए हो रही होड़ रोड सेफ्टी वल्र्ड सीरीज़ टी-20 के होने वाले मैचों के टिकट के लिए इस बार कंपनी ने कतारें नहीं लगने दी और सारे टिकटों के लिए ऑनलाइन खरीदी की ही व्यवस्था की थी। इसके पीछे मंशा थी कि टिकट की ब्लैक मार्केटिंग नहीं हो। लेकिन टिकट सोशल मीडिया पर बिकने के लिए आ गए हैं। लोग टिकट अवेलेबल लिखकर वॉलपेपर पोस्ट कर रहे हैं। अब तक हुए सभी मैचों में पहली बार ऐसी व्यवस्था की गई है कि सारे टिकट ऑनलाइन ही बेचे जा रहे है।शहर में होने वाले मैचों के टिकटों की बिक्री ऑनलाइन करने का फैसला लिया था कि मैचों के लिए प्रशंसकों की कतारें कई दिन पहले से लग जाती हैं। पिछले कुछ मैचों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ी थी।