घर पर कोरोना मरीज कैसे रख सकते हैं अपना ऑक्सीजन लेवल बेहतर, सरकार ने ऐसे समझाया

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नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना वायरस के कहर ने देश में कोहराम मचा दिया है। कोरोना की वजह से चारों तरफ ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार है। ऐसे में अगर कोई कोरोना मरीज है और उसे बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही है तो वे घर पर रहकर भी अपना ख्याल रख सकता है और सांस की तकलीफों को भी कुछ व्यायाम के जरिए दूर कर सकते है। घर पर ही कोरोना से लड़ रहे मरीज प्रोनिंग व्यायाम के जरिए सांस लेने में कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कुछ खास तरीके अपनाने की सलाह दी है और कुछ डॉक्यूमेंट शेयर किए हैं, जिससे कोई भी अपना ऑक्सीजन लेवल भी मेंटेन रख सकता है। अगर सांस लेने में समस्या हो रही है और ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा है तो इस प्रोनिंग व्यायाम के जरिए कोई भी मरीज अपने ऑक्सीजन लेवल को बढ़ा सकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, प्रोनिंग एक तरह की प्रक्रिया है, जिसमें मरीज को पेट के बल लेटना होता है। यह प्रक्रिया मेडिकली प्रमाणित है, जिसमें सांस लेने में सुधार होता है और ऑक्सीजन लेवल में मदद मिलती है। होम आइसोलेशन में कोरोना मरीज के लिए प्रोनिंग काफी मददगार है। अगर किसी का ऑक्सीजन लेवल 94 से नीचे है और उसे सांस लेने में परेशान ही रही है तो ऐसे होमम आइसोलेशन वाले मरीज पेट के बल लेट कर यह व्यायाम कर अपने ऑक्सीजन लेवल को बढ़ा सकता है।

प्रोनिंग के लिए क्या जरूरत होती है?
ऑक्सीजन की मात्रा को बरकरार रखने के वास्ते प्रोनिंग प्रक्रिया को अपनाया जाता है। इस प्रोनिंग प्रक्रिया में पांच तकियों की जरूरत होती है। प्रोनिंग के लिए गर्दन के नीचे एक तकिया रखना होता है और फिर एक या दो तकिया छाती के नीचे रखा जाता है (ऊपरी थाइज के जरिये)। इसके बाद दो तकिया पैर के अगले भाग के नीचे रखना होता है। हर तीस मिनट में पेट के पल लेटने की स्थिति को बदलने की जरूरत होती है। यानी इसमें उपर्युक्त मुद्रा में 30 मिनट से ज्यादा नहीं रहना है।

कब ना करें प्रोनिंग
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस प्रोनिंग व्यायाम के लिए कुछ शर्तें रखी हैं कि आपको किन हालातों में इसे नहीं करना है। अगर आप प्रेगनेंट हैं या कोई मेजर कार्डिएक कंडीशन है या शरीर में स्पाइनल से जुड़ी कोई समस्या या फ्रैक्चर हो तो इस प्रक्रिया को न अपनाएं।

और क्या ख्याल रखें
खाना खाने के बाद तुरंत बाद यह प्रक्रिया न अपनाएं।
जब सहने योग्य हो, तभी यह अपनाएं।
कोई व्यक्ति एक दिन में 16 घंटे तक यह प्रक्रिया कर सकता है।

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