जांच रिपोर्ट आने से पहले ही मरीजों के एक चौथाई फेफड़े आ रहे वायरस की चपेट में – वैज्ञानिक

नई दिल्ली:- कोरोना वायरस के दो अलग अलग स्ट्रेन आपस में मिलकर तीन दिन के अंदर मरीज के फेफड़ों में न सिर्फ चिपकना शुरू हो जाते हैं बल्कि इससे उसका वजन भी गिरने लगता है। पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने डबल म्यूटेशन के रहस्य से पर्दा उठाया है। अध्ययन के जरिए वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि देश में कोरोना मरीजों की हालत इसलिए गंभीर हो रही है क्योंकि जांच रिपोर्ट आने से पहले ही उसके कम से कम एक चौथाई फेफड़े वायरस की चपेट में आ रहे हैं।

वैज्ञानिक उस वक्त हैरान हो गए जब उन्हें डबल म्यूटेशन वाले स्ट्रेन बी .1.617 में डी 111 डी , जी 142 डी , एल 452 आर , ई 484 क्यू , डी 614 जी और पी 681 आर नामक म्यूटेशन भी मिले।

पुणे स्थित नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी ( एनआईवी ) के वैज्ञानिकों ने चूहों पर अध्ययन करके पता लगाया कि संक्रमण होने के बाद मरीज तीसरे दिन ही गंभीर रुप से बीमार होने लगता है। चूहों को उन्होंने डबल म्यूटेशन देकर पता लगाया कि वे तीसरे दिन ही छटपटाने लगे थे । इनके अंदर वायरस का उच्च संक्रमण भार मिलने लगा था जो सीधे तौर पर जानलेवा स्थिति की ओर इशारा करता है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ . प्रज्ञा यादव ने बताया कि बी .1.617 नामक स्ट्रेन में वायरस के दो – दो वैरिएंट की पहचान हुई है। इस स्ट्रेन में वायरस के स्पाइक क्षेत्र में आठ अमीनो एसिड परिवर्तन देखने को मिले हैं। एक से अधिक उपवंश मिलने से गंभीरता का पता चल रहा है। यह वैरिएंट कहां से आया ? यह अभी भी रहस्य बना हुआ है।

भारत समेत 21 देशों में अब तक यह मिल चुका है लेकिन वजह वहां भी पता नहीं है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एनसीडीसी के अनुसार 13,000 सैंपल की जीनोम सीक्वेसिंग में 3,532 गंभीर वैरिएंट अब तक पता चलेग हैं जिनमें से 1,527 में डबल म्यूटेशन वाला वैरिएंट मिला है।

वैज्ञानिकों को नहीं थी जानकारी 
यह अध्ययन मेडिकल जर्नल बायोआरएक्सआईवी में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों के अनुसार अभी तक देश में जीनोम सीक्वेसिंग के जरिये कोरोना वायरस के नए बदलावों का पता लगाया जा रहा था लेकिन इसके प्रभावों के बारे में किसी के पास सटीक जानकारी नहीं थी। इसलिए एनआईवी के वैज्ञानिकों ने यह अध्ययन शुरू किया था और कुछ ही समय बाद उन्हें परिणाम दिखने लगे।

733 में से 273 में मिला डबल म्यूटेशन 
25 नवंबर 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच 733 सैंपल की जीनोम सिक्वेसिंग में 273 सैंपल में डबल म्यूटेशन बी 1.617 मिला। जबकि 73 में बी 1.36.29,67 में बी 1.1.306 , 31 में बी 1.1.7 और 24 सैंपल में बी 1.1.216 पाया गया।

इसके बाद वैज्ञानिकों ने सीरिया के गोल्डन हैम्स्टर्स चूहों में बी 1.617 के वायरल लोड और रोगजनक क्षमता की जांच शुरू की। दो अलग अलग समूह में नौ – नौ चूहों पर परीक्षण के दौरान एक को बी 1 ( डी 614 जी ) और दूसरे समूह को बी 1.617 म्यूटेशन दिए गए जिसके बाद डबल म्यूटेशन के रहस्मयी प्रभावों का पता लग पाया।