भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील हो रहा ‘तौकते’, पांच राज्यों में अलर्ट जारी, NDRF ने भेजीं टीमें, केरल में भारी बारिश

नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पांच राज्यों में चक्रवाती तूफान को लेकर अलर्ट जारी किया है। वहीं, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अरब सागर में बन रहे चक्रवात ‘तौकते’ से निपटने के लिए 53 दलों को तैयार किया है। इन दलों को पांचों राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में तैनात किया जा रहा है। उधर, आईएमडी ने यह भी कहा है कि 17 मई को तौकते के अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है।

मौसम स्थिति गहरे दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो गई है। इसके शनिवार सुबह तक चक्रवाती तूफान तौकते में तब्दील होने की संभावना है। रात तक अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है। आईएमडी के चक्रवात चेतावनी प्रभाग ने कहा कि 16 से 19 मई के बीच पूरी संभावना है कि यह 150-160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा के साथ एक अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील होगा। हवा की रफ्तार बीच-बीच में 175 किलोमीटर प्रति घंटा भी हो सकती है। मौसम विभाग ने कहा कि लक्षद्वीप में 15 मई को कहीं-कहीं अत्यंत भारी बारिश होगी।

केरल में गुरुवार रात से ही हो रही लगातार बारिश
केरल के विभिन्न इलाकों में गुरुवार रात से ही लगातार बारिश हो रही है। राज्य सरकार ने लोगों के लिए राहत शिविर शुरू किए हैं। निचले इलाकों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। तिरुवनंतपुरम में अरुविक्कारा बांध में पानी के तेज बहाव के कारण बांध के फाटक गुरुवार रात को खोल दिए गए। लगातार बारिश के कारण करमना और किल्ली नदियों में जलस्तर उफान पर है। अधिकारियों ने बताया कि इन नदियों के किनारे निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को एहतियात के तौर पर सुरक्षित स्थानों और राहत शिविरों में पहुंचाया जा रहा है। रात भर हुई बारिश के चलते दक्षिणी कोल्लम जिला के कई हिस्से जलमग्न हो गए। तटीय कोल्लम, अलप्पुझा और एर्णाकुलम जिलों में गुरुवार रात समुद्र में तेज लहरें उठने के कारण कई मकानों को नुकसान पहुंचा है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की कमांडेंट रेखा नांबियार ने बताया कि एहतियात के तौर पर एनडीआरएफ की नौ टीमें केरल भेजी गई हैं। भू राजस्व आयुक्तालय ने बताया कि कुल 87 लोगों को तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, इडुक्की और एर्णाकुलम में खोले गए चार राहत शिविरों में भेजा गया है।

एनडीआरएफ ने पांच राज्यों के लिए 53 दल तैयार किए
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अरब सागर में बन रहे चक्रवात तौकते से निपटने के लिए 53 दलों को तैयार किया है। एनडीआरएफ के महानिदेशक एस एन प्रधान ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में इन दलों को तैनात किया जा रहा है। इन 53 दलों में से 24 दलों को पहले ही तैनात कर दिया गया है, जबकि शेष को तैयार रहने को कहा गया है। आईएमडी ने बताया कि यह तूफान 18 मई की शाम तक गुजरात तट के नजदीक पहुंच सकता है। इस चक्रवात को तौकते नाम म्यांमार ने दिया है। यह भारतीय तट पर इस साल पहला चक्रवाती तूफान होगा।

महाराष्ट्र के रायगढ़ तट पर लौटीं 142 नौकाएं
मुंबई और कोंकण क्षेत्र में चक्रवाती तूफान आने की चेतावनी के बीच मछली पकड़ने वाली 142 नौकाएं तट पर लौट आईं। रायगढ़ के मत्स्य पालन विभाग के सहायक आयुक्त सुरेश भारती ने बताया कि 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलने की संभावना है। मौसम संबंधी परामर्श के बाद विभाग ने मछुआरों को तट पर लौटने की सलाह दी थी। अलीबाग, मुरुद और उरण तालुक से मछली पकड़ने वाली 142 नौकाएं शुक्रवार सुबह तट पर लौट आईं। आईएमडी ने कहा कि रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिलों में रविवार और सोमवार को भारी बारिश होने की संभावना है। वहीं मुंबई, ठाणे और रायगढ़ में सोमवार को बारिश होगी। रायगढ़ में शनिवार को तेज हवा चलने के साथ बारिश का अनुमान है।

क्यों किया जाता चक्रवातों का नामकरण?
तबाही मचाने वाले चक्रवातों का नामकरण करने के पीछे की मुख्य वजह ये है कि इनको लेकर आम लोग और वैज्ञानिक स्पष्ट रह सकें। बता दें कि तौकाते नाम म्यांमार से आया है। इसका मतलब होता है अधिक शोर करने वाली छिपकली।
चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत
अटलांटिक क्षेत्र में चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत वर्ष 1953 की एक संधि से हुई। जबकि हिंद हिंद महासागर क्षेत्र के आठ देशों ने भारत की पहल पर इन तूफानों के नामकरण की व्यवस्था वर्ष 2004 में शुरू की। इन आठ देशों में भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं। साल 2018 में ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई और यमन को भी जोड़ा गया। यदि किसी तूफान के आने की आशंका बनती है तो ये 13 देशों को क्रमानुसार 13 नाम देने होते हैं।

ऐसे चलती है नामकरण की प्रक्रिया 
नामकरण करने वाली समिति में शामिल देश जो नामों की सूची देते हैं, उनको समिति में शामिल देशों के अल्फाबेट के हिसाब से नामों को सूचीबद्ध किया जाता है। जैसे अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले बांग्लादेश, फिर भारत का और इसी तरह ईरान व अन्य देशों का नाम आएगा, जिनके सुझाए गए नाम पर चक्रवात का नामकरण किया जाता है। चक्रवातों का नामकरण करने का हर बार अलग देश का नंबर आता है। यह क्रम ऐसे ही चलता रहेगा।

‘तौकाते’ के बाद के तूफानों के होंगे ये नाम
सूची के हिसाब से मालदीव से बुरेवी, म्यांमार से तौकाते, ओमान से यास और पाकिस्तान से गुलाब नाम सूची में क्रमबद्ध हैं। बीते साल अप्रैल में ही नामों की नई सूची स्वीकृत की गई। पुरानी सूची में अंफान चक्रवात सबसे अंतिम नाम था।

नई सूची में ये नाम भी हैं शामिल
आगामी 25 साल के लिए देशों से नाम लेकर एक सूची बनाई जाती है। इन्हीं नामों में से अल्फाबेटिकल आर्डर में नाम रखे जाते हैं। नई सूची में देशों ने जो नाम दिए हैं, उसमें भारत की ओर से दिए नामों में गति, तेज, मुरासु (तमिल वाद्य यंत्र), आग, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि और वेग नाम शामिल है। जबकि बांग्लादेश ने अर्नब, कतर ने शाहीन व बहार, पाकिस्तान ने लुलु तथा म्यांमार ने पिंकू नाम भी दिया है। 25 सालों के लिए बनी इस सूची को बनाते समय यह माना जाता है कि हर साल कम से कम 5 चक्रवात आएंगे। इसी आधार पर सूची में नामों की संख्या तय की जाती है। बता दें कि इससे पहले चर्चा में रहे तूफान हेलेन का नाम बांग्लादेश ने, नानुक का म्यांमार ने, हुदहुद का ओमान ने, निलोफर और वरदा का पाकिस्तान ने, मेकुनु का मालदीव ने और हाल में बंगाल की खाड़ी से चले तूफान तितली का नाम पाकिस्तान ने दिया।

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