नारदा केस: दो मंत्री समेत टीएमसी के चार नेता गिरफ्तार, नाराज ममता बोलीं- मुझे भी गिरफ्तार कीजिए

पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार की तीसरी बार प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी होने के बाद नारदा घोटाले की जांच एक बार फिर शुरू हो गई है। सीबीआई ने नारदा मामले में आरोपी कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम, कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व भाजपा नेता सोवन चटर्जी पर शिंकजा कसा है।

पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव से 15 दिन पहले सामने आया नारदा न्यूज स्टिंग वीडियो अब एक बार फिर ममता बनर्जी सरकार औश्र तृणमूल कांग्रेस के लिए गले की फांस बन सकता है।नारदा घोटाले में आरोपी बंगाल के कैबिनेट मंत्री फिरहाद हकीम, कैबिनेट मंत्री सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व भाजपा नेता सोवन चटर्जी के घर पर सीबीआई ने छापेमारी की। इसके बाद एजेंसी इन चारों नेताओं को पूछताछ के लिए सीबीआई दफ्तार ले गई।

टीएमसी नेताओं को सीबीआई दफ्तर लाने के बाद पश्चिम बंगाल की सियासत में भूचाल आ गया। जहां एक ओर लोग नेताओं के समर्थन में प्रदर्शन करने लगे। वहीं सीबीआई की कार्रवाई से भड़कीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी एजेंसी के दफ्तर पहुंच गई। टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी से नाराज ममता बनर्जी ने कहा कि उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई के अधिकारियों से कहा कि अगर आप इन चार नेताओं को गिरफ्तार कर रहे हैं तो मुझे भी गिरफ्तार करना पड़ेगा। आप राज्य सरकार या कोर्ट के नोटिस के बिना इन चारों नेताओं को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं, अगर फिर भी गिरफ्तार करते हैं तो मुझे भी गिरफ्तार किया जाए।

नारदा केस : क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारदा न्यूज के सीईओ मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी कर बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दी थी। इस वीडियो में तृणमूल कांग्रेस के सात सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी कैमरे के सामने रिश्वत लेकर एक फर्जी कंपनी को कारोबार में मदद करने का आश्वासन देते नजर आ रहे थे। फर्जी कंपनी के प्रतिनिधि के तौर रिश्वत देने वाला व्यक्ति कोई और नहीं मैथ्यू सैमुएल ही थे। इस स्टिंग वीडियो ने जहां एक ओर विपक्ष को ममता बनर्जी और उनकी सरकार के खिलाफ बारूद सौंप दिया था। वहीं ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने अपनी छवि बचाने के लिए इस राजनीतिक साजिश करार दिया।  लेकिन अब हाईकोर्ट के सीबीआई से जांच के फैसले और फिर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगाने के बाद सरकार और तृणमूल कांग्रेस के स्वर नरम हो गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई समय-सीमा
कोलकाता हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार को इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। तब अदालत ने उसे 72 घंटे की भीतर प्राथमिक जांच रिपोर्ट जमा करने और जरूरी होने पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश भी दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह समयसीमा बढ़ा कर 30 दिन कर दी है।