नारदा केस : मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के बाद अब सुब्रत मुखर्जी हुए बीमार, जेल से पहुंचे अस्पताल
कोलकाता (एजेंसी)। पश्चिम बंगाल में नारदा मामले में गिरफ्तार किए गए तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) विधायक मदन मित्रा और पूर्व मंत्री सोवन चटर्जी के बाद सोमवार सुबह मंत्री सुब्रत मुखर्जी की भी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बता दें कि मदन मित्रा और सोवन चटर्जी की देर रात हालत बिगड़ गई थी, जिसके बाद दोनों नेताओं को प्रेसिडेंसी जेल से देर रात एसएसकेएम अस्पताल के वुडबर्न ब्लॉक में शिफ्ट किया गया। सीबीआई ने नारदा मामले में सोमवार को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्रा, पूर्व टीएमसी नेता एवं कोलकाता के पूर्व महापौर सोवन चटर्जी गिरफ्तरी किया था। टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बेहद नाराज हो गईं। उन्होंने सीबीआई दफ्तर पहुंचकर अफसरों से कहा कि आप बिना नोटिस मंत्रियों और विधायक को गिरफ्तार नहीं कर सकते हैं, अगर ऐसा करते हैं, तो आप मुझे भी गिरफ्तार कीजिए। हालांकि, सीबीआई के अफसरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध को नजरअंदाज करते हुए चारों नेताओं को गिरफ्तार करके होईकोर्ट में पेश कर दिया।
West Bengal: Police brings TMC leader Subrata Mukherjee to SSKM Hospital, Kolkata.
CBI arrested Mukherjee and 3 others in connection with Narada case yesterday. pic.twitter.com/B8Vg7Nruh9
— ANI (@ANI) May 18, 2021
टीएमसी नेताओं को जिस वक्त कोर्ट में पेश करने की कवायद की जा रही थी, उसी वक्त सीबीआई दफ्तर के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई और सीबीआई दफ्तर पर पथराव करने लगी। सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज करके भीड़ को खदेड़ा। गिरफ्तारी के 7 घंटे के अंदर ही सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों नेताओं को जमानत दे दी, लेकिन रात होते-होते कलकत्ता हाईकोर्ट ने जमानत पर रोक लगा दी। जमानत मिलने के बाद सीबीआई ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
नारदा केस : क्या है पूरा मामला?
पश्चिम बंगाल में वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव से पहले नारदा न्यूज के सीईओ मैथ्यू सैमुएल ने एक स्टिंग वीडियो जारी कर बंगाल की राजनीति में हलचल मचा दी थी। इस वीडियो में तृणमूल कांग्रेस के सात सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी कैमरे के सामने रिश्वत लेकर एक फर्जी कंपनी को कारोबार में मदद करने का आश्वासन देते नजर आ रहे थे। फर्जी कंपनी के प्रतिनिधि के तौर रिश्वत देने वाला व्यक्ति कोई और नहीं मैथ्यू सैमुएल ही थे। इस स्टिंग वीडियो ने जहां एक ओर विपक्ष को ममता बनर्जी और उनकी सरकार के खिलाफ बारूद सौंप दिया था। वहीं ममता बनर्जी और उनकी पार्टी ने अपनी छवि बचाने के लिए इस राजनीतिक साजिश करार दिया। लेकिन अब हाईकोर्ट के सीबीआई से जांच के फैसले और फिर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगाने के बाद सरकार और तृणमूल कांग्रेस के स्वर नरम हो गए हैं।