बड़ी डील: भारतीय रिन्यूएबल ऊर्जा क्षेत्र का सबसे बड़ा सौदा, अडाणी ग्रीन ने इस कंपनी को खरीदा
अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) ने बुधवार को कहा कि उसने अपने रिन्यूएबल ऊर्जा पोर्टफोलियो में 4,954 मेगावॉट जोड़ने के लिए जापान के सॉफ्टबैंक और भारत के भारती समूह से एसबी एनर्जी इंडिया का अधिग्रहण कर लिया है। यह भारत के रिन्यूएबल ऊर्जा क्षेत्र का सबसे बड़ा सौदा है। यह सौदा लगभग 3.5 अरब डॉलर (24,000 करोड़ रुपये) का है।
लक्ष्य पोर्टफोलियो में 84 फीसदी सौर क्षमता (4,180 मेगावाट), नौ फीसदी वायु सौर हाइब्रिड क्षमता (450 मेगावॉट) और सात फीसदी वायु क्षमता (324 मेगावॉट) के साथ बड़े पैमाने पर यूटिलिटी संपत्तियां शामिल हैं। पोर्टफोलियो में 1,400 मेगावॉट की परिचालन सौर ऊर्जा क्षमता और एक और 3,554 मेगावॉट की सौर ऊर्जा क्षमता शामिल है जो अभी निर्माणाधीन है। सभी परियोजनाओं में सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई), एनटीपीसी लिमिटेड और एनएचपीसी लिमिटेड जैसे सॉवरेन रेटेड समकक्षों के साथ 25 साल के बिजली की खरीद के समझौते शामिल हैं।
पोर्टफोलियो का हिस्सा बनने वाली परिचालन संपत्ति मुख्य रूप से सौर पार्क आधारित परियोजनाएं हैं। इस सौदे के साथ, अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड 24.3 गीगावॉट (1) की कुल रिन्यूएबल क्षमता और 4.9 गीगावॉट की परिचालन रिन्यूएबल क्षमता हासिल कर लेगा।
भारतीय बाजार से बाहर होगी एसबी एनर्जी
इस सौदे के साथ ही एसबी एनर्जी भारतीय बाजार से बाहर हो जाएगी। उद्योग के सूत्रों ने कहा कि एसबी एनर्जी अब भारत में किसी भी परियोजना निविदा में भाग नहीं लेगी। एग्जिक्यूटिव्स ने बताया कि एसबी एनर्जी करीब दो साल से अपने पोर्टफोलियो को बेचने पर विचार कर रही थी। कंपनी ने भारत सरकार से डॉलर आधारित टैरिफ और बड़ी क्षमता देने के लिए कहा था, लेकिन इन्हें स्वीकार नहीं किया गया।
अडाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों को लगे पंख
इस खबर से अडाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों को पंख लग गए हैं। सुबह 11.15 बजे अडाणी ग्रीन का शेयर 44.30 अंक (3.70 फीसदी) ऊपर 1243.05 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। बजकि पिछले कारोबारी दिन यह 1198.75 के स्तर पर बंद हुआ था। इससे पहले लगातार दो दिन इसमें पांच फीसदी का अपर सर्किट भी लगा थी। मौजूदा समय में कंपनी का बाजार पूंजीकरण 1.95 लाख करोड़ रुपये है।
ये है कंपनी की योजना
इस संदर्भ में अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने एक बयान में कहा कि, ‘यह अधिग्रहण जनवरी 2020 में हमारे द्वारा बताए गए विजन की दिशा में एक और कदम है, जिसमें हमने 2025 तक दुनिया की सबसे बड़ी सौर कंपनी बनने और उसके बाद 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी रिन्यूएबल कंपनी बनने की योजना बताई थी। हम अपने घोषित लक्ष्य को तय समय सीमा से चार साल पहले ही हासिल कर सकते हैं।’
इससे पहले 2016 में हुई थी क्षेत्र की सबसे बड़ी डील
इससे पहले भारत के रिन्यूएबल ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी डील साल 2016 में हुई थी, जब टाटा पावर ने वेलस्पन एनर्जी की रिन्यूएबल ऊर्जा परिसंपत्तियों को करीब 10,000 करोड़ रुपये में खरीदा था।