फंगस को बढ़ाने में नमी मददगार, बदलते रहें मास्क, इंफेक्शन से बचने के लिए रखें सावधानी

शेयर करें

नई दिल्ली:- कोरोना के बाद अब फंगस इंफेक्शन ने नींद उड़ा दी है। कोरोना के मरीजों में ब्लैक, सफेद और येलो फंगस मिलने के बाद खतरा बढ़ गया है। मेडिकल साइंस में हुए अध्ययनों से पता चलता है कि फंगस पौधों से लेकर पशु-पक्षी और मानव शरीर में भी पाया जाता हैं जो अलग-अलग रूप से प्रभावित करता है। दाद-खाज और खुजली भी एक तरह का फंगल इंफेक्शन है। लेकिन वो सिर्फ त्वचा को प्रभावित करता है ,लेकिन ऐसे फंगल जो ट्रू पैथोजेनिक सिस्टेमिक होते हैं वो खतरनाक होते हैं। क्योंकि उनके बढ़ने यानी फैलने की तीव्रता अधिक होती है। कोरोना के बाद मिले तीनों फंगस उसी श्रेणी के हैं। इन्हें फास्ट ग्रोइंग फंगस भी कहा गया है।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में माइक्रोबॉयोलाजी के प्रोफेसर रहे और शोभित विवि के कुलपति डॉ. एपी गर्ग बताते हैं कि सिस्टेमिटक इंफेक्शन 24 से 48 घंटे में नाक से लेकर मष्तिक, छाती, हृदय और अन्य ऑर्गन तक पहुंचने में सक्षम होता है। क्योंकि इसकी प्रकृति तेजी से बढ़ने की होती है। इसलिए इसमें जान जाने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस श्रेणी के जितने भी फंगस इंफेक्शन होते हैं। उनमें एंटी फंगल दवा के साथ ऑपरेशन करने की भी जरूरत पड़ती है।

अकेले दवा या इंजेक्शन के दम पर मरीज के ठीक होने की संभावना बेहद कम रहती है। क्योंकि दवा को फंगस वाली जगह तक पहुंचने में समय लगता है। इसलिए ऑपरेशन करना जरूरी होता है। डॉ. एपी गर्ग बताते हैं कि ब्लैक, सफेद और येलो फंगस तो जानलेवा है ही लेकिन स्प्रेलॉजिक फंगस सबसे खतरनाक है जो छाती को जकड़ लेता है। यह शरीर में सबसे तेजी से फैसला है। इसे मेडिकल साइंस की भाषा में ग्रीन मोल्ड भी कहा जाता है। कभी कभी यह येलो ग्रीन मोल्ड के प्रकृति में भी मिलता है लेकिन यह फंगस करोड़ों केस में से किसी एक के अंदर मिलता है।

फंगस का शरीर के किन अंगों पर पड़ता है असर

ब्लैक फंगस : यह एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है। म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है। यह आंख, नाक, फेफड़ों, मष्तिष्क, जबड़ों को प्रभावित करता है। सबसे पहले इसका असर आंख और नाक में दिखाई देता है।

व्हाइट फंगस : त्वचा, फेफड़ों व खून में संक्रमण, मुंह में छाले आना, अल्सर, यूरिनल, गैस्ट्रो सिस्टम को भी प्रभावित करता है। नाक में पपड़ी जम जाना। सिर में तेज दर्द, नाक बंद, पपड़ी सी जमना, उल्टियां, आंखें लाल होना, सूजन, जोड़ों पर तेज दर्द होने जैसे प्रमुख लक्षण हैं। एस्परजिलोसिस फंगस- फेफड़ों और श्वास की नली को सबसे अधिक प्रभावित करता है। इसके साथ ही आंख में कॉर्निया को सफेद कर देता है, जिससे अंधापन भी हो सकता है। चक्कर आना, आंखे लाल होना और नाक में खुजली होना, इसके प्रमुख लक्षण हैं।

कैंडिडा ऑरिश फंगस को मना जाता है सबसे खरतनाक
कैंडिडा ऑरिश को दुनिया का सबसे खतरनाक फंगस माना जाता है। हालांकि इसका प्रसार बेहद सीमित है, लेकिन इस पर एंटी फंगल दवाएं भी ज्यादा असर नहीं करती हैं। इस फंगस को ग्लोबल थ्रेट यानी वैश्विक खतरा घोषित किया जा चुका है। इस पर एंटीफंगल दवाओं असर नहीं करती।

टीनिया कैपिटिस: यह दाद से भी तेजी से बढ़ने वाले फंगल इंफेक्शन है जो सिर की त्वचा को सबसे पहले संक्रमित करता है। इसके बाद फंगस बालों के अंदर फैल जाते हैं, जिससे बाल झड़ने लगते हैं। कुछ दिनों में आदमी के सिर के सभी बाल झड़ जाते हैं।

टीनिया वर्सीकोलल : यह त्वचा की सबसे ऊपरी परत, एपिडर्मिस में होने वाले फंगल इंफेक्शन है। यह तैलीय त्वचा में अधिक होता है। इसमें शरीर की ऊपरी त्वचा पर दाग से दिखाई देते हैं। इसमें किसी तरह का दर्द या खुजली महसूस नहीं होती है। इसका इलाज काफी लंबा चलता है। अगर इलाज के बाद फंगस फैलने से रुक जाता है तो भी कई दफा इसके निशान शरीर से नहीं जाते हैं।

डॉ. एपी गर्ग बताते हैं कि किसी भी फंगल को बढ़ाने के लिए नमी सबसे ज्यादा मददगार होता होती है। नमी या फिर पसीने वाली गर्मी में भी फंगल बढ़ता है। मेरा मानना है कि इतनी तेजी से ब्लैक और सफेद फंगस इंफेक्शन के मामले आने के पीछे एक वजह लंबे समय तक एक ही मास्क को पहने रखना भी हो सकता है। कई बार फंगस कपड़े पर होती है लेकिन दिखाई नहीं देता है। खासकर सफेद फंगस को पता नहीं किया जा सकता। इसलिए मेरी सलाह है कि इसमें मास्क नियमित रूप से बदले।

फंगस इंफेक्शन से बचने के लिए रखें सावधानी
– सर्जिकल मास्क पहन रहे हैं तो एक ही दिन इस्तेमाल करें या कुछ घंटे।
– कपड़े का मास्क पहन रहे हैं तो उसे प्रतिदिन धोएं और अच्छे से सुखा लें।
– घर के खिड़की दरवाजे दिन में कम से कम तीन से चार घंटे खोल कर रखे, जिससे नमी न हो।
– अगर कोरोना मरीज स्वस्थ होते हैं तो वो घर में नमी वाली जगहों पर न रहें।
– घर में फ्रीज में या पुराने रखे हुए खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

 

रीसेंट पोस्ट्स

You cannot copy content of this page