ऑनलाइन विधिक जागरूकता शिविर में विद्यार्थियों ने न्यायालय एवं न्यायालयीन कार्रवाई एवं विधि के प्रति रूचि दिखाई
दुर्ग:- राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश /अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण -दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में आज डॉ. ममता भोजवानी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्रीमती सरिता दास अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं श्री अविनाश त्रिपाठी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा पाटन, धमधा एवं दुर्ग ब्लाक के शासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों को ऑनलाइन वीसी के माध्यम से पॉक्सो कानून के तहत जानकारी प्रदान की।
न्यायाधीशगण ने बताया कि बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों की घटनाएं समाज को शर्मसार करती हैं। इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था। पॉक्सो कानून यानी की प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 जिसको हिंदी में लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 कहा जाता है। इस कानून के लगने पर तुरंत गिरफ्तारी एवं कठोर सजा का प्रावधान है। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है।18 साल से कम किसी भी मासूम के साथ अगर दुराचार होता है तो वह पॉक्सो एक्ट के तहत आता है। 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। पाक्सो के अंतर गत रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस की यह जवाबदेही हैं कि पीड़ित का मामला 24 घंटो के अन्दर बाल कल्याण समिति के सामने लाया जाए, जिससे पीड़ित की सुरक्षा के लिए जरुरी कदम उठाये जा सके, इसके साथ ही बच्चे की मेडिकल जाँच करवाना भी अनिवार्य हैं द्य ये मेडिकल परीक्षण बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जायेगा जिस पर बच्चे का विश्वास हो, और पीड़ित अगर लड़की है तो उसकी मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए।
ऑनलाइन विधिक जागरूकता शिविर में विद्यार्थियों ने न्यायालय , न्यायालयीन कार्रवाई एवं विधि के प्रति जागरूकता दिखाई शासकीय उच्च माध्यमिक शाला पाटन की कक्षा 10वीं की छात्रा अंकिता ने पूछा कि यदि कोई लड़का किसी लड़की को परेशान करता है तो उस लड़की के लिए क्या क्या रास्ते उपलब्ध है जिस पर बताया गया कि यदि कोई लड़का किसी लड़की को परेशान करता है उसका पीछा करता है , उसके बारे में अपशब्द टिप्पणी करता है या किसी प्रकार की भी ऐसी कोई कृत्य जिससे लड़की को परेशानी हो रही हो , ऐसी स्थिति में लड़की को चाहिए कि वाह सर्वप्रथम उक्त घटना की जानकारी अपने मां-बाप अपने स्कूल के प्रिंसिपल को इस घटना की जानकारी जरूर दें और यदि उनके मां-बाप का प्रिंसिपल के द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है तो उक्त घटना की जानकारी महिला थाने में भी दी जा सकती हैं। डॉ. ममता भोजवानी ने यह भी बताया कि अगर कोई लड़का किसी लड़की को परेशान करता है, तो लड़की को चुप नहीं बैठना चाहिए इसका विरोध करना चाहिए क्योंकि अगर वह चुप बैठती है तो उस लड़के को ऐसी घटना दोबारा करने के लिए मनोबल मिलता है।
कक्षा 11 वीं की छात्रासरिता शर्मा ने न्यायाधीश से बच्चों के अधिकार के बारे में पूछा जिसमें डॉ. ममता भोजवानी ने बच्चों के संबंध में जीने का अधिकार ,शिक्षा का अधिकार , अच्छे वातावरण में रहने का अधिकारो के संबंधो में जानकारी प्रदान की स कक्षा 12की छात्र नेहा ने न्यायाधीश बनने की प्रक्रिया की जानकारी चाही जिस पर श्रीमती सरिता दास मैडम ने बताया कि सर्वप्रथम न्यायाधीश बनने के लिए विधि की डिग्री प्राप्त करना अनिवार्य है तत्पश्चात छत्तीसगढ़ पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित सिविल जज की परीक्षा पास होने के उपरांत ही न्यायाधीश बना जा सकता है सकक्षा दसवीं का छात्र राम निषाद ने पूछा कि एक गरीब व्यक्ति अपनी बात न्यायालय में कैसे रख सकता है जिस पर सरिता दास मैडम ने बताया कि विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा गरीब व्यक्ति, महिला, अपंग व्यक्ति अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों को निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान की जाती है जिसके अंतर्गत उन्हें एक निशुल्क अधिवक्ता नियुक्त करके उनकी बातें न्यायालय के समक्ष रखने के लिए नियुक्त किया जाता है। अधिवक्ता को दी जाने वाली शुल्क जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा वहन किया जाता है।