धर्मांतरण मामले में पाकिस्तानी संस्था दावते इस्लामी का हाथ, कई मामलों में पाई गई संलिप्तता
फंडिंग के लिए शहर में 2 हजार जगहों पर लगवाए पारदर्शी डोनेशन बॉक्स
नोएडा :- कानपुर में धर्मांतरण कराने के मामलों में पाकिस्तान की संस्था दावते इस्लामी का हाथ है। कई मामलों में संस्था की संलिप्तता भी पाई गई है। संस्था ने फंडिंग के लिए शहर में दो हजार जगहों पर पारदर्शी डोनेशन बॉक्स लगवाए हैं। देशभर में इसी तरह से जमा किए जा रहे चंदे के पैसों का इस्तेमाल राष्ट्रविरोधी ताकतों को मजबूती देने में किया जा रहा है। यह शिकायत मंगलवार को सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहमद कौसर हसन मजीदी ने डीसीपी साउथ रवीना त्यागी से उनके कार्यालय में मिलकर की।
शिकायती पत्र में बताया कि पाकिस्तानी संस्था के कार्यकर्ता शहर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सक्रिय हैं। उन्होंने ही धर्मांतरण की मुहिम छेड़ रखी है। फंडिंग के लिए दान का सहारा लिया गया है। सामाजिक कार्यों के नाम पर रुपया जमा किया जा रहा है। आरोप है कि जमा होने वाले रुपयों का 50 प्रतिशत पाकिस्तानी यू-ट्यूब चैनल मदनी को भेज दिया जाता है और शेष रकम से इस काम में लगे लोगों को फंडिंग की जा रही है। इन्होंने मामले की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की। उन्होंने बताया कि नवंबर 2019 से अक्तूबर 2020 तक उन्होंने जूही थाने में इस संबंध में कई प्रार्थनापत्र दिए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। राष्ट्रविरोधी ताकतों के विरोध में छेड़े गए अभियान के कारण उन्हें व उनके परिवार को कई बार धमकियां दी जा चुकी हैं। उनकी शिकायत सुनने के बाद डीसीपी ने कार्रवाई का भरोसा दिया है।
कानपुर के आठ कट्टरपंथी उमर गौतम के संपर्क में, एटीएस खंगाल रही कुंडली
धर्मांतरण के मामले में एटीएस की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। कानपुर के आठ शख्स मोहम्मद उमर गौतम और उसकी संस्था इस्लामिक दावा सेंटर (आईडीसी) के संपर्क में हैं। ये कट्टरपंथी हैं, इनमें एक-दो मौलवी भी हैं। कानपुर या उसके आसपास होने वाली उमर की सभाओं में ये लोग शिरकत करते थे और भीड़ जुटाते थे। एटीएस इनकी कुंडली खंगाल रही है। क्राइम ब्रांच ने भी अपने स्तर से जानकारी जुटानी शुरू कर दी है।
यूपी एटीएस धर्मांतरण के मामले में अब तक पांच आरोपियों की गिरफ्तारी कर चुकी है। सबसे पहले आईडीसी के उमर गौतम व जहांगीर को गिरफ्तार किया था। रिमांड पर लेने के बाद ये दोनों एक के बाद एक राज खोल रहे हैं। इसके आधार पर एटीएस ने उनसे जुड़े लोगों की सूची तैयारी की है। इसमें कानपुर के भी आठ लोगों का नाम शामिल है। कानपुर पुलिस को सूची दी गई है। जांच एजेंसी को आशंका है कि धर्मांतरण के मामले में कहीं न कहीं इनकी भी भूमिका है। इनके बारे में एक-एक जानकारी जुटाई जा रही है।
गैर मुस्लिमों को प्रेरित करने का काम करते
जांच एजेंसियों ने जिन संदिग्धों को चिह्नित किया है, उनकी धर्मांतरण कराने में अहम भूमिका है। गैर मुस्लिमों को ये लोग धर्मांतरण के लिए मोटिवेट करते हैं। बहला फुसलाकर सभाओं में ले जाते हैं। इसके बाद प्रलोभन देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करते हैं। थोड़ा सा भी झुकाव देखकर आईडीसी से जुड़े अन्य लोगों से संपर्क करवाते हैं। खासकर फोन पर। इसके बाद ये लोग माइंड वॉश करना शुरू करते हैं। आशंका है कि काकादेव के आदित्य और रिचा देवी के धर्मांतरण में भी इनकी भूमिका है।
पूछताछ का दौर जारी
क्राइम ब्रांच ने एक-एक कर सभी का सत्यापन कर लिया है। पूछताछ भी की जा रही है। एटीएस के अफसर भी पूछताछ कर रहे हैं। इन सभी के मोबाइल नंबरों की सीडीआर देखी जा रही है। पता किया जा रहा है कि ये सभी किन-किन लोगों के संपर्क में थे। पिछले एक दो वर्षों में कहां-कहां गए और किनसे मिले।
कन्फेक्शनरी की दुकान चलाता है वासिफ
धर्म परिवर्तन करने वाले आदित्य गुप्ता ने खुलासा किया था कि करीब नौ वर्ष पहले चमनगंज निवासी मोहम्मद वासिफ नाम का शख्स उसको हलीम मुस्लिम कॉलेज में होनी वाली सभाओं में ले गया था। जांच में पता चला कि वर्तमान में वासिफ कन्फेक्शनरी की दुकान चलाता है। उसकी मां साथ में रहती हैं। जांच एजेंसी पता कर रही हैं कि वासिफ का कोई रोल है या नहीं। हालांकि उसकी मां का कहना है कि पिछले पांच साल से वह किसी सभा में नहीं गया। दुकान से परिवार का खर्च चलाता है। वासिफ भी मूक बधिर है।