कोरोना का इलाज करा चुके मरीजों में साइटोमेगालो वायरस मिलने का खुलासा

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नई दिल्ली:- अगर आप कोरोना से संक्रमित हुए थे और ठीक हो गए हैं तो निश्चिंत न हो जाएं, क्योंकि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पहले ब्लैक, व्हाइट और ग्रीन फंगस का खतरा और अब एक नए वायरस से संक्रमण की खबरें सामने आ रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ने कोरोना का इलाज करा चुके मरीजों में साइटोमेगालो वायरस (सीएमवी) के मिलने का खुलासा किया है। देश में अब तक इसके पांच मरीज मिल चुके हैं। गंगाराम अस्पताल में भर्ती इन मरीजों की उम्र 30 से 70 साल के बीच है। इन मरीजों को पेट में दर्द और मल में खून बहने की परेशानी के बाद भर्ती किया गया है। हालांकि इनमें से एक मरीज की मौत भी हो चुकी है।

क्या है साइटोमेगालो वायरस: साइटोमेगालो वायरस एक सामान्य वायरस है, जो आमतौर पर शरीर में निष्क्रिय पड़ा रहता है। सीडीसी के मुताबिक, एक स्वस्थ व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर इस वायरस को बीमारी पैदा करने से बचाती है, लेकिन अगर व्यक्ति की इम्यूनिटी कमजोर है तो उनके साइटोमेगालो वायरस से संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है।

जीवन भर शरीर में रहता है यह वायरस: सीडीसी के मुताबिक, अमेरिका में पांच साल की उम्र तक हर तीन में से लगभग एक बच्चा साइटोमेगालो वायरस से पहले से ही संक्रमित हो चुका है, जबकि 40 वर्ष की आयु तक आधे से अधिक वयस्क सीएमवी से संक्रमित हो चुके हैं। दरअसल, एक बार जब सीएमवी किसी व्यक्ति के शरीर में चला जाता है, तो वह जीवन भर वहीं रहता है और फिर से सक्रिय हो सकता है। एक व्यक्ति वायरस के एक अलग स्ट्रेन (किस्म) से फिर से संक्रमित हो सकता है।

साइटोमेगालो वायरस के लक्षण क्या हैं: सीडीसी के मुताबिक, कुछ मामलों में स्वस्थ लोगों में इसके संक्रमण से हल्की बीमारी हो सकती है और उनमें बुखार, गले में खराश, थकान और ग्रंथियों में सूजन जैसे लक्षण दिख सकते हैं। कभी-कभी, सीएमवी मोनोन्यूक्लिओसिस या हेपेटाइटिस (लिवर की समस्या) का कारण भी बन सकता है।

बच्चों को यह वायरस दे सकता है बहरेपन की समस्या: सीडीसी के मुताबिक, कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र वाले लोग अगर साइटोमेगालो वायरस से संक्रमित होते हैं, तो उनमें आंखों, फेफड़े, लिवर, पेट और आंतों को प्रभावित करने वाले अधिक गंभीर लक्षण हो सकते हैं। वही, सीएमवी के साथ पैदा होने वाले शिशुओं में मस्तिष्क, लिवर, प्लीहा, फेफड़े और शरीर के विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जन्मजात सीएमवी संक्रमण से पैदा हुए बच्चों में सबसे आम दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या बहरापन है, जिसे जन्म के तुरंत बाद पता लगाया जा सकता है या बाद में बचपन में यह विकसित हो सकता है।

ऐसे फैल सकता है वायरस

सीएमवी से संक्रमित होने वाले मरीज शरीर के तरल पदार्थ, जैसे लार, मूत्र, रक्त, आंसू, वीर्य और स्तनपान के माध्यम से वायरस दूसरों में फैला सकते हैं। सीएमवी एक संक्रमित व्यक्ति से निम्नलिखित तरीकों से फैलता है:

लार या मूत्र के सीधे संपर्क से, विशेष रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों से
यौन संपर्क के माध्यम से
स्तनपान के माध्यम से शिशुओं में
प्रत्यारोपित अंगों और ब्लड ट्रांसफ्यूजन (रक्त आधान) के माध्यम से

 

 

 

 

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