रथयात्रा पर कोरोना का साया, सेक्टर-4 श्री जगन्नाथ मंदिर में मंदिर परिसर में ही घूमे भगवान
भिलाई। पावन पर्व रथयात्रा पर विगत दो वर्षों से कोरोना का साया है। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी रथयात्रा महोत्सव केवल रश्म अदायगी तक सीमित रही। सेक्टर-4 स्थित इस्पात नगरी के सबसे पुराने जगन्नाथ मंदिर में सोमवार को रथयात्रा का पावन पर्व पूरी सतर्कता के साथ मनाया गया। मंदिर के पुजारियों व समिति के पदाधिकारियों ने सीमित मात्रा में कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए मंदिर परिसर में रथयात्रा की रश्म आदयगी की। मदिंर परिसर भ्रमण कर सभागार में निर्मित गुण्डिचा मंडप में महाप्रभु विराजमान हुए।
मंदिर परिसर में आयोजित रथयात्रा की शुरुआत भोर में ही हो गई थी7 शंख ध्वनि के साथ सुबह 5 बजे ब्रहम मुहूर्त में भगवान श्री बलभद्र, माता सुभद्रा तथा महाप्रभु श्री जगन्नाथ के विग्रह को एक साथ पंहडी करते हुए काष्ठ निर्मित सुन्दर व भव्य रथ पर लाया गया। रथयात्रा के दौरान रथ के समक्ष परम्परा का निर्वाहन किया गया। मंदिर समिति के अध्यक्ष विरेन्द्र सतपथी द्वारा छेरा पंहरा की रश्म की गई। इसके बाद भगवान जगन्नाथ के जयकारों के साथ मंदिर में रथयात्रा निकाली गई।
रथयात्रा महोत्सव का यह 52 वां वर्ष
उल्लेखनीय है कि सेक्टर-4 स्थित जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा महोत्सव का यह 52 वां वर्ष है। हर वर्ष यहां रथयात्रा महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। कोरोना महामारी के कारण पिछले वर्ष भी रथयात्रा की रश्म अदायगी हुई थी और इस वर्ष भी यही प्रक्रिया दोहराई गई। रथ को मंदिर परिसर से बाहर नहीं निकाला गया और न ही शहर भ्रमण कराया गया। सिर्फ मंदिर परिसर में ही पुजारियों व सेवकों के सीमित उपस्थिति में रथयात्रा विधान पूर्ण किया गया। इस वर्ष भी मंदिर सभागार में ही गुण्डिचा मंडप बनाया गया है। गुंडिचा मंडप में महाप्रभु 9 दिन तक विराजमान रहेंगे। इस दौरान कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए भक्त महाप्रभु के विभिन्न रूपों का दर्शन कर सकेंगे।
मास्क लगाकर भक्त करेंगे प्रवेश
महाप्रभु भगवान जगन्नाथ के दर्शनों के लिए मंदिर समिति ने विशेष निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत भक्तों को मास्क लगाना अनिवार्य होगा साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। रथयात्रा उत्सव को सफल बनाने में जगन्नाथ समिति के अध्यक्ष वीरेन्द्र सतपथी, महासचिव सत्यवान नायक, वृंदावन स्वांई, बीसी बिस्वाल, भीम स्वांई, एस सी पात्रो, बसंत प्रधान सहित समिति के पदाधिकारी सर्वश्री अनाम नाहक, डी त्रिनाथ, कालू बेहरा, त्रिनाथ साहू, निरंजन महाराणा, कैलाश पात्रो, संतोष दलाई, प्रकाश स्वांई, रंजन महापात्र,रमेश कुमार नायक, सीमांचल बेहरा, सुदर्शन शांती, शंकर दलाई,प्रकाश दास ने विशेष योगदान दिया।