कोरोना संक्रमण: अब कोरोना मरीजों के लिवर में पड़ रहा पस, 14 मामले आए सामने, एक की हुई मौत
नई दिल्ली (एजेंसी)। कोरोना संक्रमण और इससे ग्रस्त मरीजों की चिकित्सीय स्थिति को लेकर नई-नई चुनौतियां देखने को मिल रही हैं। अब कोरोना मरीजों के लिवर में पस पड़ने के मामले सामने आ रहे हैं। अब तक ऐसे 14 मामले मिल चुके हैं जिनमें कोरोना संक्रमण की पहचान हुई साथ ही इनके लिवर में पस पड़ गया और सर्जरी की नौबत तक आई।
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल ने की पुष्टि, फंगस भी सबसे पहले यहीं मिला
नई दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल ने इन सभी मामलों की पुष्टि की है। इससे पहले देश में कोरोना संक्रमित मरीजों में फंगस के मामले भी सबसे पहले इसी अस्पताल में सामने आए थे। डॉक्टरों के अनुसार लीवर में पस से भरा हुआ फोड़ा आमतौर पर ‘एंटअमीबा हिस्टोलिटिका’ नामक परजीवी के कारण होता है जो दूषित भोजन और पानी से फैलता है। अस्पताल में ऐसे 14 मामले सामने आए हैं जिनमें से एक मरीज की मौत हो चुकी है। इस मरीज के पेट में 19 सेंटीमीटर के आकार का फोड़ा था जो अस्पताल पहुंचने तक फट चुका था और पेट में पस फैल गया था।
अस्पताल के प्रोफेसर अनिल अरोड़ा ने बताया कि कोविड से 22 दिन के अंदर ठीक होने के बाद जो प्रतिरक्षात्मक (इम्यूनोकम्पीटेंट) थे, उनके लीवर के दोनों हिस्से बहुत ज्यादा पस से भरे हुए थे, जिन्हें तुरंत ड्रेनेज और अस्पताल में भर्ती करने की अतिशीघ्र आवश्यकता थी। इन मरीजों की आयु 28-74 वर्ष के बीच है। संक्रमण के दौरान और पोस्ट कोविड दोनों ही स्थिति में ऐसे मामले मिल रहे हैं।
13 मरीज हुई डिस्चार्ज
अस्पताल में भर्ती मरीजों में 10 पुरुष और चार महिलाएं थीं। इन सभी को बुखार, पेट दर्द के लक्षण थे जबकि कुछ में काले रंग के मल के साथ रक्तस्राव भी देखा गया। इन 14 में से आठ मरीजों को कोविड-19 लक्षणों के प्रबंधन के लिए स्टेरॉयड प्राप्त हुए। छह मरीजों में लिवर के दोनों तरफ कई बड़े फोड़े थे, जिनमें से पांच मरीजों में इनका आकार 8 सेमी से भी ज्यादा था। एक मरीज में 19 सेंटीमीटर तक का फोड़ा देखने को मिला है।
डॉक्टरों के अनुसार मल के रास्ते खून आने वाले तीन मरीजों ने बड़ी आंत में अल्सर मिला जो कोलोनोस्कोपी (एक कैमरे के माध्यम से बड़ी आंत को देखा गया) द्वारा पता लगाया गया था। फिलहाल राहत की खबर है कि 13 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। जबकि बड़े फोड़े वाले एक रोगी के पेट में पस फैलने से मौत हो गई। प्रो. अनिल अरोड़ा ने कहा कि मरीजों में कई और बड़े फोड़े मिले जो एक प्रतिरक्षात्मक (इम्यूनोकम्पीटेंट) व्यक्ति के लिए बहुत ही असामान्य है। कोविड-19 संक्त्रस्मण द्वारा प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) के साथ-साथ स्टेरॉयड का उपयोग कारण माना जा सकता है।