बच्चों का टीका: एम्स निदेशक ने दी खुशखबरी, कहा- सितंबर तक आएगा वैक्सीन परीक्षण का परिणाम

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत में अभी तक सिर्फ 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग रही है। अभी तक बच्चों को वैक्सीन लगने के बारे में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। हालांकि, बच्चों को वैक्सीन लगाने को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि देश में बच्चों के लिए बनाए जा रहे भारत बायोटेक कंपनी के कोरोना टीके कोवैक्सिन का परीक्षण जारी है। एम्स निदेशक के अनुसार बच्चों के लिए बन रही इस वैक्सीन के परीक्षण का परिणाम सितंबर तक आने की उम्मीद है। डॉ. गुलेरिया ने शनिवार (23 जुलाई) को कहा, ‘बच्चों के लिए भारत बायोटेक के कोवैक्सिन परीक्षण वर्तमान में चल रहे हैं और परिणाम सितंबर तक जारी होने की उम्मीद है।’

जहां संक्रमण दर कम, वहां निगरानी के साथ खुल सकते हैं स्कूल
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि पूरी निगरानी के साथ जिन इलाकों में संक्रमण दर कम है वहां स्कूल खोले जा सकते हैं। महामारी के इस दौर में कंप्यूटर और मोबाइल की उपलब्धता नहीं होने पर बहुत से बच्चों को स्कूल छोड़ना पड़ा।

जायड्स कैडिला ने पूरा किया परीक्षण का पहला चरण 
जानकारी के अनुसार जायडस कैडिला ने 12 से 18 साल के बच्चों के लिए अपने वैक्सीन का ट्रायल पूरा कर लिया है। हालांकि,ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा इसे आपातकालीन उपयोग की अनुमति देने में कुछ दिन और लगेंगे।

बूस्टर डोज और  इम्यूनिटी पर क्या बोले एम्स निदेशक? 
बूस्टर डोज के विषय पर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वायरस के नए स्वरूपों से लड़ने के लिए हमें बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि समय के साथ इम्यूनिटी में गिरावट होगी। उन्होंने साफ किया कि बूस्टर डोज अगली पीढ़ी की दवा होगी। दूसरी पीढ़ी के ये टीके बेहतरीन इम्यूनिटी देंगे, जो वायरस के नए स्वरूपों के खिलाफ प्रभावी और असरदार होंगे। फिलहाल इन बूस्टर खुराकों का परीक्षण चल रहा है। रणदीप गुलेरिया के अनुसार संभवत: इस साल के अंत तक बूस्टर डोज की जरूरत पड़े, लेकिन यह तभी होगा जब एक बार पूरी आबादी का टीकाकरण हो जाए।

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