मध्यप्रदेश: बाढ़ की चपेट में 1,200 से अधिक गांव, लगभग 6 हजार लोगों को बचाया गया
उत्तर मध्यप्रदेश में बाढ़ की स्थिति गंभीर है, भारी बारिश के बाद 1,200 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हुए है। भारी बारिश के बाद ग्वालियर-चंबल क्षेत्र बाढ़ की चपेट में है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए कुछ जरूरी कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और बीएसएफ ने 240 गांवों के 5,950 लोगों को बचाया है। 1,950 और लोगों को बचाने के प्रयास जारी हैं। वायुसेना के हेलिकॉप्टरों ने बचाव कार्य शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, क्वारी, सीप, पार्वती नदियों में बाढ़ से श्योपुर के 30 गांव प्रभावित हैं। अब तक यहां 1000 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। वहीं, ज्वालापुर, भेरावाड़ा, मेवाड़ा, जाटखेड़ा के गांवों में फंसे करीब 1000 लोगों को निकालने का अभियान जारी है। इस कारण वहां के 1,171 गांवों में बाढ़ आ गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बारिश कम हो गई है और जलस्तर कम होने लगा है। हालांकि, शिवपुरी में हमारी संचार व्यवस्था चरमरा गई है। हमने बुनियादी ढांचे को बहाल करने की कोशिश करने के लिए दूरसंचार मंत्रालय से संपर्क किया है। मैं केंद्र के संपर्क में हूं। गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने नदियों के जल स्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ की स्थिति के बारे में जानकारी ली है। साथ ही राहत कार्य के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
पीएम ने शिवराज सिंह चौहान से फोन पर लिया जायजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से फोन पर बात कर बारिश और बाढ़ से उपजे हालात के बारे में जानकारी ली है। उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया कि श्योपुर जिले में मोबाइल टावर और कम्यूनिकेशन कुछ स्थानों पर बंद है, इससे संपर्क करने में परेशानी जा रही है और ग्वालियर गुना रेलवे ट्रैक बंद है। पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री से हर संभव मदद करने का भरोसा दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि प्रभावित लोगों तक मदद पहुंचाने का काम जारी है। इस बीच
ममता बनर्जी से भी जाना विस्थापितों का हाल
प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ के हालात पर चर्चा की है। उन्होंने इस स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव केंद्रीय मदद का आश्वासन दिया। दरअसल, भारी बारिश के चलते दामोदर घाटी निगम के बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद पश्चिम बंगाल के छह जिलों में आई बाढ़ की वजह से लगभग 2.5 लाख लोग विस्थापित हुए हैं और मकान गिरने और करंट लगने की घटनाओं में कम से कम 14 लोगों की मौत हुई है।