संसद: लोकसभा में आज पेश होगा ओबीसी आरक्षण से जुड़ा अहम बिल
राज्यों को आरक्षण के लिए ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को आज केंद्र सरकार लोकसभा में पेश करने वाली है। महाराष्ट्र में मराठों को ओबीसी में शामिल कर आरक्षण देने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। अब उसकी काट के लिए यह नया विधेयक लाया जा रहा है। इससे देश भर में ओबीसी वर्ग के आरक्षण के लिए राह खुलेगी। लेकिन अब विपक्ष की ओर से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को हटाने की मांग की जा सकती है। काांग्रेस ने 127वें संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करने के संकेत दे दिए हैं।
इसके साथ ही कांग्रेस समेत कई और दलों की ओर से आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को भी हटाने की मांग की जा सकती है। कई ओबीसी संगठन लंबे समय से आरक्षण के लिए तय 50 फीसदी सीमा को हटाए जाने की मांग करते रहे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में भी नए बिल को लेकर हलचल तेज हो गई है। रविवार रात सीएम उद्धव ठाकरे के साथ एनसीपी और कांग्रेस के कई नेताओं की मीटिंग थी। माना जा रहा है कि इस नए विधेयक को लेकर इस दौरान मीटिंग हुई थी। दरअसल मराठा कोटा को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा था कि यह 50 फीसदी की सीमा का भी उल्लंघन करता है।
खड़गे ने बुलाई मीटिंग, विपक्ष करेगा बिल पारित कराने में सहयोग
ऐसे में यह भी एक मुद्दा बन गया है और विपक्षी दलों की ओर से 50 फीसदी लिमिट को खत्म करने की मांग की जा सकती है। मॉनसून सेशन शुरू होने के साथ ही दोनों सदनों में हंगामे का दौर जारी है, लेकिन इस नए बिल को लेकर विपक्ष ने भी पॉजिटिव रुख दिखाया है। सरकार को इस बिल को मौजूदा सेशन में ही लोकसभा के बाद राज्यसभा से पारित कराना होगा और फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह कानून में तब्दील हो जाएगा। अब तक पेगासस के मुद्दे पर हंगामा करने वाले विपक्षी दलों की मीटिंग कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुलाई है। इस मीटिंग में वे विपक्ष से चर्चा से जुड़ने का आह्वान कर सकते हैं।
ओबीसी लिस्ट के अधिकार का लिमिट हटने से ही मिलेगा फायदा
इसके साथ ही विपक्ष की मांग यह भी रहेगी कि आरक्षण की कुल सीमा को अब 50 फीसदी से ज्यादा किया जाना चाहिए। यदि विपक्ष की ओर से इस तरह की मांग उठती है तो फिर बीजेपी के लिए भी इसे नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। उसे भी इस मुद्दे पर बात करनी होगी। कांग्रेस समेत कई दलों का कहना है कि यदि राज्यों को ओबीसी सूची तैयार करने का अधिकार मिलता भी है तो समुदाय को तब तक लाभ नहीं होगा, जब तक कि 50 फीसदी की लिमिट को हटाया नहीं जाता है। इसी को आधार बनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मराठा रिजर्वेशन को खारिज कर दिया था।