सरकार की नई ड्रोन नीति: रजिस्ट्रेशन के लिए अब सुरक्षा मंजूरी की जरूरत नहीं, नियम टूटे तो 1 लाख रु. जुर्माना

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को ड्रोन उद्योग के लिए नए नियम जारी कर दिए। नागर उड्डयन मंत्रालय ने पुराने नियमों में सरकारी एजेंसियों और आम लोगों की सलाह के बाद अपनी नई नीति को सामने रखा है। बता दें कि पहले ड्रोन नीति, 2021 का ऐलान 15 अगस्त तक किए जाने का अनुमान था, लेकिन सरकार ने आम लोगों की राय जुटाने के मकसद से इस नीति में कुछ अहम बदलाव किए।
जानें क्या है नई ड्रोन नीति?
1. इन मंजूरियों की अब जरूरत नहीं: यूनीक ऑथोराइजेशन नंबर, यूनीक प्रोटोटाइप आइडेंटिफिकेशन नंबर, सहमति प्रमाण पत्र, रखरखाव का प्रमाण पत्र, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान और विकास संस्थान की मंजूरी, ट्रेनी के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस, रिमोट पायलट प्रशिक्षक की मंजूरी, ड्रोन के पुर्जों के आयात की मंजूरी।

2. नए ड्रोन नियमों के दायरे में अब 500 किलो तक भार उठा सकने वाले ड्रोन शामिल। पहले ये सीमा 300 किग्रा तक सीमित थी। इसके जरिए सरकार का पेलोड उठाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सी को बढ़ावा देने का लक्ष्य।

3. ड्रोन के लिए फॉर्म/मंजूरियों की संख्या 25 से घटाकर 5 की गईं। किसी ड्रोन का रजिस्ट्रेशन कराने या लाइसेंस हासिल करने के लिए अब सुरक्षा एजेंसियों की मंजूरी की जरूरत नहीं। इसके अलावा मंजूरी के लिए फीस भी सिर्फ नाममात्र।
4. ड्रोन नियम, 2021 के तहत कोई नियम तोड़ने पर अधिकतम जुर्माना 1 लाख रुपए तक कहा। हालांकि, बाकी क्षेत्र के नियम टूटने पर नए ड्रोन नियमों से अलग जुर्माना भी लग सकता है।

5. ड्रोन्स की उड़ान का मार्ग तय करने के लिए ‘डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म’ बनाने की तैयारी। इसमें ग्रीन, यलो और रेड जोन्स के बारे में बताया जाएगा। सभी ड्रोन्स का इस पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।

6. जहां यलो जोन को पहले एयरपोर्ट से 45 किमी दूरी तक किया गया था, वहीं, अब इसे घटाकर 12 किमी तक की दूरी किया गया। इसके आगे ज्यादा ऊंचाई पर ड्रोन उड़ाने के लिए मंजूरी की जरूरत बरकरार। उधर ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी तरह की मंजूरी की जरूरत नहीं। साथ ही एयरपोर्ट के 8 से 12 किमी दायरे में 200 फीट तक ड्रोन उड़ाने के लिए भी नहीं लेनी होगी इजाजत।
7. ड्रोन्स के लेन-देन और डिरजिस्ट्रेशन के लिए आसान प्रक्रिया। मौजूदा ड्रोन्स के नियमितीकरण के लिए आसान मौके। साथ ही गैर-वाणिज्यिक इस्तेमाल में लाए गए नैनो ड्रोन्स और माइक्रो ड्रोन्स (छोटे ड्रोन्स) के लिए किसी पायलट लाइसेंस की जरूरत नहीं।

8. ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग और परीक्षाओं के लिए ड्रोन स्कूल की मंजूरी जरूरी। इसके लिए डीजीसीए की तरफ से मदद दी जाएगी और ड्रोन स्कूलों पर नजर रखने के साथ पायलट लाइसेंस भी ऑनलाइन देने की सुविधा होगी। हालांकि, अनुसंधान और विकास कार्यों से जुड़े संस्थानों को रिमोट पायलट लाइसेंस या किसी अन्य सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं।

9. ड्रोन्स के आयात के लिए डीजीएफटी तय करेगा नियम। कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन के कॉरिडोर तैयार किए जाएंगे।

10. नो परमिशन-नो टेक ऑफ (एनपीएनटी), रियल टाइम ट्रैकिंग, जियो फेंसिंग, जैसी सुरक्षा खूबियों पर आगे जारी होंगे नियम। इनके पालन के लिए दिया जाएगा कम से कम छह महीने का समय।