कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच केरल में बढ़ा निपाह वायरस का खतरा
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका के बीच केरल में बढ़ता निपाह वायरस चिंता बढ़ा रहा है. राज्य में इसके चलते 12 साल के एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है. कई लोगों में इसके संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है. कोरोना के साथ निपाह की मौजूदगी को जानकार बड़े खतरे के रूप में देख रहे हैं. कई मामलों में निपाह और कोरोना वायरस का स्वभाव एक जैसा ही नजर आता है, लेकिन दोनों में कुछ अंतर भी हैं.
निपाह तो जूनोटिक है, कोविड का क्या?
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक निपाह वायरस को जूनोटिक माना जाता है. जूनोटिक का मतलब है एक ऐसा संक्रमण, जो जानवर से इंसानों में या इंसानों से जानवरों में फैल सकता है. निपाह का नाम मलेशिया के एक गांव सुनगई निपाह के नाम पर रखा गया है. वहीं, कोरोना के मामले में अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि यह कहां से आया है. फिलहाल, इस वायरस के ‘लैब में तैयार होने’, ‘मेड इन चाइना’ होने की बहस और जांच जारी है.
निपाह और कोरोना में एक बात विपरीत
ग्लोबल वायरस नेटवर्क की तरफ से किए गए आकलन में अनुमान लगाया है कि निपाह की आर नॉट वैल्यू या R0, 0.43 पर था. किसी संक्रमण को आबादी में फैलने के लिए उसके R0 को 1 से ज्यादा होना चाहिए. जब R0, 1 से कम होता है, तो मृत्यु दर 45 फीसदी से 70 फीसदी होती है. केरल में इससे पहले फैले निपाह वायरस के बाद यह आंकड़े सामने आए हैं. उस दौरान 19 संक्रमितों में से 17 की मौत हो गई थी. कोविड का R0 तेजी से बदलता है. भारत और अन्य देशों में यह कई बार 1 से ज्यादा रहा. डेटा बताता है कि कोविड में मृत्यु दर औसतन 1 फीसदी से कम है.
लक्षण
कोरोना वायरस का शिकार होने के बाद मरीज को बुखार, सूखी खांसी, थकान, दर्द और खुशबू नहीं आने जैसे लक्षण नजर आते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, निपाह वायरस मरीज में एसिम्प्टोमैटिक इंफेक्शन से लेकर गंभीर श्वसन संक्रमण और घातक एंसिफिलाइटिस का कारण बनता है.
संक्रमित लोगों को शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, गले में खराश आ सकती है. इसके बाद बेहोशी, उनींदापन और न्यूरोलॉजिकल संकेत हो सकते हैं, जो गंभीर एंसिफिलाइटिस की ओर इशारा करते हैं. कुछ लोग असामान्य निमोनिया और सांस लेने में गंभीर परेशानियों का भी सामना कर सकते हैं. एंसिफिलाइटिस और सीजर गंभीर मामलों में नजर आते हैं, जहां मरीज 24 से 48 घंटों में कोमा में चले जाते हैं.
निपाह की दवा नहीं
दोनों संक्रमणों की अब तक कोई दवा नहीं है. इनके खिलाफ कोई भी एंटी वायरल ड्रग (anti viral drug) तैयार नहीं हुआ है. सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल का कहना है, ‘फिलहाल, निपाह वायरस के संक्रमण के लिए कोई भी लाइसेंसी इलाज उपलब्ध नहीं हैं. देखभाल, आराम, हाइड्रेशन और लक्षण दिखने के साथ ही इलाज तक निपाह का इलाज सीमित है.
निपाह की पहचान 1999 में हुई थी, लेकिन अभी तक निपाह को ठीक करने वाली कोई वैक्सीन और दवा मौजूद नहीं है. WHO ने WHO रिसर्च एंड डेवलपमेंट ब्लूप्रिंट के लिए निपाह की पहचान प्राथमिक बीमारी के तौर पर की है. स्थानीय स्तर पर ही मामले मिलने के कारण इस बीमारी को कोरोना वायरस की तरह विश्व स्तर पर पहचान नहीं मिली है. मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश और भारत में निपाह वायरस के मामले देखे गए हैं.
कोविड और निपाह के लिए स्वाब और थ्रोट टेस्ट (RT-PCR) का ही इस्तेमाल होता है. दोनों तरह के संक्रमणों को रोकने के लिए ट्रैक, टेस्ट, ट्रीट की रणनीति ही लागू होती है. कोविड-19 की रोकथाम के लिए भी जानकार इन तीनों तरीकों पर जोर दे रहे हैं.