आरक्षक को हाईकोर्ट से मिली राहत: प्रधान आरक्षक पदोन्नति परीक्षा में बैठने की मिली अनुमति, जानिए क्या है पूरा मामला

बिलासपुर। जिला मुंगेली के फास्टरपुर थाना में पदस्थ आरक्षक मीठा लाल जांगड़े को विभागीय पदोन्नति परीक्षा देने से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. प्रकरण पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने नियमानुसार विभागीय पदोन्नति के लिए शारीरिक, लिखित और समस्त परीक्षाओं में बैठने की अंतरिम राहत का आदेश पारित किया है.

जानकारी के अनुसार, 30 अगस्त 2017 को आरक्षक मीठा लाल जांगडे और ईश्वर साहू द्वारा पेशी कराकर बिलासपुर न्यायालय से वापस आते समय पथरिया मोड़ से उप जेल मुंगेली में निरुद्ध बंदी प्रकाश सोनवानी पुलिस अभिरक्षा से फरार होकर पुलिस अधीक्षक से मिलने कार्यालय पहुंच गया था, जिसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया था. घटना को पुलिस रेगुलेशन का उल्लंघन मानते हुए मीठालाल जांगडे और ईश्वर साहू की एक वेतन वृद्धि और एक वर्ष के लिए संचयी प्रभाव से रोकने का आदेश मुंगेली पुलिस अधीक्षक ने जारी किया था.

पुलिस अधीक्षक मुंगेली के आदेश के खिलाफ मीठा लाल जांगडे ने पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज के समक्ष अपील प्रस्तुत किया था.  पुलिस महानिरीक्षक ने अपील को निरस्त करते हुए पुलिस अधीक्षक के आदेश को यथावत रखा था, इसके बाद जांगडे ने पुलिस महानिदेशक के समक्ष दया याचिका दी, जो वर्तमान में लंबित है.

इस दौरान मुंगेली पुलिस अधीक्षक कार्यालय की ओर से आरक्षक से प्रधान आरक्षक पदोन्नति परीक्षा के लिए संयुक्त वरीयता क्रम सूची का प्रकाशन किया गया, जिसमें मीठा लाल जांगडे को बड़ी सजा होने से अयोग्य घोषित बताया गया. इसके विरूद्ध जांगडे ने हाईकोर्ट अधिवक्ता अनादि शर्मा और नरेन्द्र मेहेर के माध्यम से याचिका दायर की. 14 सितंबर को न्यायमूर्ति पी. सेम कोशी की बेंच में सुनवाई में अधिवक्ता अनादि शर्मा ने तर्क दिया कि गलत तरीके से दी गई सजा के एवज में प्रार्थी को विभागीय पदोन्नति परीक्षा में अयोग्य ठहराना न्यायसंगत नहीं हो सकता.

इसके साथ ही याचिकाकर्ता के साथ रहे आरक्षक को विभागीय पदोन्नति परीक्षा में बैठने के लिए योग्य करार दिया, जो याचिकाकर्ता के साथ हुए भेदभाव को दर्शाता है. इन तर्कों के आधार पर न्यायालय ने अंतरिम राहत देते हुए आरक्षक से प्रधान आरक्षक के लिए विभागीय पदोन्नति परीक्षा में बैठने दिए जाने का आदेश पारित किया गया है.

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