राजधानी रायपुर समेत राज्य के अधिकांश शहरों में दिवाली के बाद खुल जाएंगे प्राइवेट स्कूल, कोरोना संक्रमण 1% से बहुत नीचे
रायपुर। राजधानी रायपुर समेत राज्य के अधिकांश शहरों में कोरोना संंक्रमण की दर पिछले एक माह से 1 प्रतिशत से भी बहुत नीचे चल रही है, इसलिए लगभग डेढ़ साल से पूरी तरह बंद ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों ने दिवाली के बाद ऑफलाइन क्लास की तैयारी कर ली है, यानी ये स्कूल भी खुल जाएंगे।
अभी सरकारी स्कूल चल रहे हैं लेकिन रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर समेत सभी शहरों में अधिकांश सीबीएसई या अन्य बोर्ड के प्राइवेट स्कूल बंद हैं और तिमाही परीक्षाएं भी ऑनलाइन हो चुकी हैं। निजी स्कूल प्रबंधन का कहना है कि दिवाली से पहले इस मामले में पैरेंट्स से बात की जाएगी ताकि नवंबर में स्कूल खुलें और दिसंबर में छमाही परीक्षा ऑफलाइन ले ली जाए। प्रदेश में अगस्त में ही कोरोना संक्रमण की दर अधिकांश जिलों में घटकर 1 प्रतिशत से कम हो गई थी। शासन ने कुछ नियम-शर्तों के साथ अगस्त में ही स्कूल शुरू करने की अनुमति दे दी। इसके तुरंत बाद सभी सरकारी स्कूल खुले और ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो गई, जो अब तक चल रही है। वहां छात्रों की उपस्थिति भी अच्छी है। लेकिन शहरों तथा ग्रामीण अंचल के अधिकांश निजी स्कूल नहीं खुले और वहां अब भी ऑफलाइन पढ़ाई चल रही है। एक-दो स्कूलों ने ऑफलाइन कक्षाएं शुरू कीं पर छात्र कम हैं और अधिकांश ऑनलाइन पढ़ाई ही कर रहे हैं।
लेकिन ज्यादातर स्कूल प्रबंधनों का मानना है कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों के लिखने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। स्कूलों से लगाव भी कम हुआ है, इसलिए अब ऑफलाइन पढ़ाई जरूरी है। कुछ स्कूल प्रबंधन ने बताया कि पहले ही तरह बस भी शुरू की जाएगी, ताकि बच्चों को आने-जाने में परेशानी न हो।
ऑफलाइन क्लास की वजह-पैरेंट्स ने ही नहीं भेजा
निजी स्कूलों में ऑफलाइन क्लास शुरू नहीं होने की एक बड़ी वजह यह सामने आई कि पैरेंट्स खुद ही बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते थे। स्कूल प्रबंधन ने इस संबंध में पैरेंट्स से कई बार बात की लेकिन वे ऑफलाइन क्लास के पक्ष में नहीं थे। दिवाली बाद स्कूल खोलने की तैयारी है। इस बार भी पैरेंट्स से बात होगी। स्थितियां सामान्य है, इसलिए माना जा रहा है कि निजी स्कूलों में ऑफलाइन पढ़ाई शुरू हो जाएगी।
पालक समिति की अनुशंसा जरूरी
स्कूल वहीं खुलेंगे जहां कोरोना संक्रमण दर 7 दिनों में 1 प्रतिशत से कम हो।
शहरी क्षेत्र में वार्ड पार्षद एवं स्कूल की पालक समिति की अनुशंसा जरूरी।
ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत एवं स्कूल की पालक समिति की अनुशंसा जरूरी।
क्लास में क्षमता से आधे छात्र हों, सर्दी-बुखार वाले बच्चों को लौटाया जाए।