कोरोना महामारी : बुजुर्ग यात्रियों को रेलवे की मार झेलनी पड़ी……
नई दिल्ली/कोरोना महामारी ने कई देशों की अर्थव्यवस्थों को धराशाई कर दिया। संक्रमण की चपेट में आकर लाखों लोगों ने अपनी जा गंवाई, इनमें बुजुर्गों की संख्या भी बड़ी है। भारत में कोरोना काल का लेकर बुजुर्गों को कई तरह की सुविधाएं दी गईं, लेकिन बुजुर्गों के प्रति रेलवे का नजरिया कुछ अलग रहा। जी हां, एक आरटीआई के जरिए सामने आया है कि कोरोना के दौर में रेलवे ने बुजुर्ग यात्रियों को मिलने वाली छूट को निलंबित कर दिया और करीब चार करोड़ सीनियर सिटीजन से पूरा किराया बसूला।
कोरोना की वजह से मार्च, 2020 से पूरी तरह से लॉकडाउन लगा दिया गया था, इसके बाद से ही भारतीय रेलवे की सेवाओं को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद जब ट्रेनों का परिचालन फिर से शुरू किया गया, तो बुजुर्ग यात्रियों को रेलवे की मार झेलनी पड़ी। तकरीबन चार करोड़ सीनियर को अपनी यात्रा के लिए पूरा किराया देने के लिए मजबूर होना पड़ा। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के रहने वाले चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने कहा है कि 22 मार्च, 2020 से सितंबर 2021 के बीच 37,850,668 वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेनों में यात्रा की है।
लॉकडाउन के दौरान रेलवे की ओर से यात्रियों को दी जाने वाली रियायतों को भी निलंबित कर दिया गया। बता दें कि वरिष्ठ नागरिकों को भारतीय रेलवे में मिलने वाली रियायतों की बात करें तो महिलाओं को 50 फीसदी छूट मिलती है, जबकि पुरुषों को 40 फीसदी रियायत मिलती है। इसके लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु सीमा 58 साल होनी जरूरी है, जबकि पुरुषों के लिए 60 वर्ष की न्यूनतम आयुसीमा निर्धारित है। ट्रेनों का परिचालन शुरू होने के बाद यात्रियों की संख्या तो बढ़ी लेकिन रेलवे की ओर से रियायतों में जो कटौती की गई वो लगातार जारी है।
रेलवे की ओर से मिलने वाली रियायतों को निलंबित करने का सबसे अधिक सितम सबसे ज्यादा बुजुर्ग यात्रियों ने ही झेला है। दरसअल, इन यात्रियों को रियायत उन लोगों के लिए बहुत बड़ी मदद है, जो यात्रा का खर्चा वहन करने में असमर्थ हैं। कई घरों में वरिष्ठ नागरिकों को एक अतिरिक्त के रूप में माना जाता है, उनकी अपनी कोई आय या आय का जरिया नहीं होता है। इन रियायतों ने उन्हें इधर-उधर आने जाने में मदद की, लेकिन कोरोना काल में उन्हें कोई छूट नहीं दी गई