छत्तीसगढ़ द्वारा केन्द्र सरकार को भेजी गई लगभग 25 से ज्यादा चिट्‌ठी, एक की भी सुनवाई नहीं

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से केन्द्र सरकार के साथ टकराव लगातार जारी है। किसी न किसी मुद्दे पर दोनों के बीच अक्सर टकराव के हालात नजर आते हैं। राज्य सरकार शुरू से ही केन्द्र सरकार पर असहयोग का आरोप लगाती है।यह राज्य द्वारा केन्द्र सरकार को भेजी गई चिटि्ठयों को पढ़कर भी समझा जा सकता है। सीएम भूपेश बघेल तथा स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पिछले एक साल में केन्द्र सरकार को लगभग 25 से ज्यादा चिट्‌ठी अलग-अलग मांगों को लेकर भेजी है। बता दें कि हाल ही में सिंहदेव ने वैक्सीन की बूस्टर डोज के लिए केंद्र को पत्र लिखे हैं। इनमें से अधिकांश चिटि्ठयों का तो औचित्य ही समाप्त हो गया है। जबकि बारदाना, खाद, धान से एथेनाल, मनरेगा श्रमिकों के भुगतान की मैपिंग, जीएसटी क्षतिपूर्ति, पीएम आवास का पैसा जैसे कई मामले हैं जिनमें राज्य सरकार की आेर से चिट्‌ठी तो भेजी गई है, पर केंद्र की ओर से इस पर एक्शन नहीं हो पाया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय खाद्यमंत्री पीयूष गोयल तथा नागरिक विमानन मंत्री हरदीप पुरी को जनवरी में दो चिटि्ठयां लिखी जिसमें गोयल से चावल का कोटा बढ़ाने तथा पुरी से एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने का आग्रह किया था लेकिन दोनों चिटि्ठयों का न कोई जवाब आया न ही केन्द्र ने इस पर कोई कार्रवाई की। इसी तरह फरवरी में सीएम ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री पत्र लिखकर बिलासपुर में थल सेना की लंबित छावनी स्थापना के लिए पत्र लिखा था। इसी तरह अप्रैल में पीएम मोदी को पत्र लिखकर माना एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय घोषित करने तथा पुराने एयरपोर्ट को कार्गो हब के रूप में विकसित करने चिट्‌ठी लिखी थी।

इसी तरह केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री को मनरेगा भुगतान के लिए हितग्राहियों के नए खातों को मैपिंग करवाने तथा खाद, वैक्सीन की एक करोड़ डोज, कोरोना से मृत परिवार के सदस्यों को चार लाख रुपए मुआवजा, जीएसटी क्षतिपूर्ति तथा एथेनाल बनाने, पेट्रोल-डीजल पर सेस कम करने व बारदाने की मांग को लेकर पत्र लिख चुके हैं। इनमें से राज्य सरकार को न तो एथेनाल बनाने की अनुमति मिली है न पर्याप्त बारदाना मिला है और न ही अब तक मांग के अनुरूप जीएसटी क्षतिपूर्ति मिल पाई है। इसी तरह स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जीएसटी क्षतिपूर्ति, वैक्सीन का बूस्टर डोज समेत कई अलग-अलग मांगों पर चिट्‌ठी लिखी है। लेकिन उन्हें भी अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। राज्य को केन्द्र से 23 हजार 140 करोड़ रुपए लेना है। इनमें केंद्रीय करों में हिस्से की पिछले तीन साल में केन्द्रीय बजट में प्रावधान से 13 हजार करोड़ रुपए कम मिले हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कोयला खदानों का आवंटन निरस्त होने से 4,140 करोड़ रुपए भी राज्य को मिलना है। कैम्पा मद में केन्द्र से 1,000 करोड़ रुपए भी मिलना है।