‘मैं दान करने की चीज नहीं, आपकी बेटी हूं पापा’, यह बोल अपनी शादी में नहीं कराया कन्यादान, जानिए कौन हैं IAS तपस्या परिहार

नरसिंहपुर। एमपी के नरसिंहपुर जिले स्थित जोवा गांव की रहने वाली आईएएस तपस्या परिहार ने यूपीएसपी की परीक्षा में 23वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने आईएफएस अधिकारी गर्वित गंगवार से शादी रचाई है। तपस्या परिहार ने अपनी शादी में कन्यादान कराने से इनकार कर दिया है। अपने पिता से तपस्या ने कहा है कि मैं दान की चीज नहीं हूं, आपकी बेटी हूं। शादी के बाद करेली के जोवा गांव में तपस्या परिहार के परिवार ने रिसेप्शन किया है। वहीं, शादी समारोह का आयोजन जोवा गांव में किया गया था।

दरअसल, तपस्या परिहार एमपी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं। उनके पति गर्वित गंगवार तमिलनाडु कैडर के आईएफएस अधिकारी हैं। मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी। अलग-अलग जगहों पर तैनाती की वजह से शादी में मुश्किलें आ रही थी। इसके बाद पति गर्वित गंगवार ने कैडर ट्रांसफर करवाने का फैसला लिया था। मैरिज के आधार पर ही कैडर ट्रांसफर हुआ है। इसके लिए तपस्या परिहार ने जुलाई महीने में गर्वित गंगवार के साथ कोर्ट मैरिज की थी। पति का नवंबर में कैडर ट्रांसफर हो गया है।

वहीं, आईएसएस तपस्या परिहार ने पांच दिन पहले पचमढ़ी में पारंपरिक तरीके से शादी हुई है। इस दौरान परिवार के लोग मौजूद थे। तपस्या के पिता विश्वास परिहार मूल रूप से किसान हैं। बेटी को आईएएस की तैयारी के लिए उन्होंने दिल्ली भेजा था। तपस्या परिहार ने दूसरी कोशिश में यह सफलता हासिल की है। कोर्ट मैरिज के बाद उन्होंने पचमढ़ी में शादी की है।

शादी समारोह के दौरान कन्यादान की रस्म निभाने की तैयारी चल रही थी। इस दौरान आईएएस तपस्या परिहार ने इससे इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि मैं दान करने की चीज नहीं हू। मैं आपकी बेटी हूं पापा और हमेशा रहूंगी। तपस्या परिहार ने कहा कि शादी के बाद दो फैमिली एक हो रही है। ऐसे में दान जैसी कोई बात नहीं है। मुझे ऐसी चीजें शुरू से पसंद नहीं हैं।तपस्या 2018 बैच की आईएएस अधिकारी है। उनका जन्म नरसिंहपुर जिले के जोवा गांव में हुआ है। नरसिंहपुर के केंद्रीय विद्यालय से तपस्या परिहार ने स्कूली पढ़ाई पूरी की है। इसके बाद पुणे स्थित इंडिया लॉ सोसाइटीज कॉलेज से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। पापा विश्वास परिहार किसान हैं। यूपीएससी की तैयारी के लिए तपस्या ने दिल्ली में रहकर ढाई साल तक तैयारी की थी। दूसरी कोशिश में उन्हें सफलता हाथ लगी है। वह समाज में समानता चाहती हैं।