चिटफंड कंपनियों के 880 से ज्यादा डायरेक्टर फरार, गिरफ्तारी के लिए बनी टीम
रायपुर। चिटफंड कंपनियों में डूबे हुए 2000 करोड़ की वापसी की प्रक्रिया चल रही है। कंपनियों की कुर्क प्रॉपर्टी की नीलामी की जा रही है। अब उनके फरार डायरेक्टर की तलाश भी शुरू हो गई। राज्य में 200 चिटफंड कंपनियों के 880 से ज्यादा डायरेक्टर फरार है। पिछले 5 साल से उनकी तलाशी चल रही है। इसके लिए सभी जिलों में टीम बनाई गई है, जो सिर्फ फरार डायरेक्टर की तलाश करेंगे। रायपुर के 54 केस में 84 से ज्यादा डायरेक्टर अब भी फरार है। हालांकि पुलिस ने 5 दिन पहले बंगाल में छापा मारकर एक फरार डायरेक्टर को गिरफ्तार किया था, लेकिन उनके 3 पार्टनर अब तक नहीं मिले है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि चिटफंड जांच के लिए अलग से टीम बनाई गई। हर टीम के साथ सायबर सेल के स्टाफ को अटैच किए है, जो तकनीकी जांच में लगे हुए है। फरार डायरेक्टर का लोकेशन और पता निकाल रहे है। रायपुर पुलिस को 11 से ज्यादा फरार का क्लू मिला है। उसके लिए जनवरी के पहले सप्ताह में टीम दूसरे राज्य में भेजा जाएगा।
राज्य में 1542 डायरेक्टर्स के खिलाफ दर्ज हैं केस
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि राज्य में 200 चिटफंड कंपनी के 1542 डायरेक्टर पर चारसौबीसी का केस दर्ज है। इसके अलावा कंपनी से जुड़े 376 एजेंट और कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया है। पिछले पांच साल में पुलिस 662 डायरेक्टर और 185 एजेंट को गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन अब भी 880 डायरेक्टर और 190 एजेंट फरार है। उनकी तलाश में टीम जुटी हुई है। रायपुर में भी 25 से ज्यादा कंपनियों के डायरेक्टर की गिरफ्तारी हो चुकी है। हालांकि कुछ फरार डायरेक्टर की मौत हो चुकी है। कुछ दूसरे राज्यों के जेल में बंद है। जेल में बंद आरोपियों को भी रायपुर लाया जाएगा।
पांच साल में सिर्फ 11 करोड़ वसूले
चिटफंड कानून बनने के बाद राज्य में 2015 से अब तक 435 केस दर्ज किया गया है। राज्य के 3.76 लाख निवेशकों का 1400 करोड़ से ज्यादा पैसा डूबा है। इसमें 17 हजार निवेशकों को डूबे हुए रकम का सिर्फ 11.24 करोड़ रुपए ही वापस मिल पाया है। जबकि पुलिस और प्रशासन ने 700 करोड़ की प्रॉपर्टी कुर्क की है। उनकी नीलामी नहीं हो पाई है। कोर्ट में मामला विचाराधीन है। हालांकि अभी भी 105 केस पुलिस की जांच में है, जबकि 324 मामलों में चार्जशीट पेश हो गया है। इसमें सिर्फ 15 मामलों में ही कंपनी के डायरेक्टर को सजा हुआ है। हालांकि 2015 के पहले अकेले रायपुर में ही 56 केस दर्ज है। पूरे राज्य में 120 से ज्यादा मामले है, जिसमें 600 करोड़ रुपए लोगों के डूब गए है। पुलिस उसकी जांच नहीं कर रही है। कानून बनने के बाद जिन कंपनियों पर केस दर्ज हुआ है। उन्हीं मामलों की जांच हो रही है। रायपुर में पहली बार दो चिटफंड कंपनी दिव्यानी और बीएन गोल्ड की 2.50 करोड़ की प्रॉपर्टी नीलाम होगी। रायपुर तहसील दफ्तर में प्रॉपर्टी की नीलामी की जाएगी। नीलामी में शामिल होने के लिए लोगों को बेस प्राइज का 25 फीसदी जमा करना होगा। उसके बाद ही बोली लगा पाएंगे।